आईपीओ मार्केट के लिए पिछला साल अच्छा नहीं रहा है। वैश्विक घटनाक्रम के चलते बाजार में बिकवाली हावी रहने से कंपनियों ने 2021 के मुकाबले 2022 में आईपीओ से जरिये करीब 55 फीसदी कम रकम जुटाने में सफल हो पाई। प्राइमडेटाबेस की ओर दी गई जानकारी के मुताबिक, भारतीय कंपनियों ने कैलेंडर वर्ष 2022 (जनवरी से दिसंबर) में 40 आईपीओ से 59,412 करोड़ रुपये जुटाए, जो 2021 में 63 आईपीओ द्वारा जुटाए गए 1,18,723 करोड़ रुपये (सर्वकालिक उच्च) का आधा है। अगर फीसदी में देखें तो यह 55 फीसदी कम है।
एलआईसी का आईपीओ सबसे बड़ा
पिछले साल सबसे बड़ा आईपीओ, भारतीय जीवन बीमा निगम का था। इसके बाद डेल्हीवरी (5,235 करोड़) और अदानी विल्मर (3,600 करोड़ रुपये) का स्थान रहा। औसत सौदे का आकार 1,485 करोड़ रुपये था। PRIME डेटाबेस ग्रुप के प्रबंध निदेशक, प्रणव हल्दिया के अनुसार, एलआईसी के आईपीओ से 20,557 करोड़ रुपये जुटाए गए जो सभी आईपीओ से जुटाई गई राशि का 35 प्रतिशत था। हल्दिया के अनुसार, 40 में से 17 आईपीओ, या लगभग आधे, अकेले वर्ष के अंतिम 2 महीनों में आए। आईपीओ का प्रदर्शन भी खराब रहा। 2021 में 32.19 प्रतिशत और 2020 में 43.82 प्रतिशत की तुलना में औसत लिस्टिंग लाभ (लिस्टिंग तिथि पर समापन मूल्य के आधार पर) 10 प्रतिशत तक गिर गया।
टेक्नोलॉजी कंपनी के सिर्फ 1 आईपीओ
पिछले साल सिर्फ 1 टेक्नोलॉजी कंपनी का आईपीओ आया। यह इस क्षेत्र से आईपीओ में मंदी की ओर इशारा करते हैं। प्राइमडेटाबेस के अनुसार, 38 आईपीओ में से 12 आईपीओ को 10 गुना से अधिक बोलियां मिली (जिनमें से 2 आईपीओ 50 गुना से अधिक) जबकि 7 आईपीओ को 3 गुना से अधिक ओवरसब्सक्राइब किया गया था। शेष 19 आईपीओ को 1 से 3 गुना के बीच ओवरसब्सक्राइब किया गया था। 2022 की तुलना में खुदरा निवेशकों की प्रतिक्रिया में भी नरमी रही। 2021 में 14.25 लाख और 2020 में 12.77 लाख की तुलना में खुदरा क्षेत्र से आवेदनों की औसत संख्या घटकर सिर्फ 5.92 लाख रह गई।