भारतीय शेयर बाजार ने पिछले 14 साल में लगातार निवेशकों को शानदार रिटर्न देने का काम किया है। वहीं, चीनी मार्केट का रिटर्न इस दौरान घटकर जीरो रह गया है। आपको बता दें कि 2010 की शुरुआत में, शंघाई कंपोजिट इंडेक्स 3,000 के आसपास था। अब यह उस स्तर से नीचे लगभग 2,865 पर है। पिछले 14 वर्षों के दौरान कोई रिटर्न नहीं आया। इसके ठीक उलट, निफ्टी 2010 की शुरुआत में 5,000 के आसपास था और अब 21,500 से ऊपर है, जो 14 वर्षों के दौरान चार गुना से अधिक हो गया है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. ने विजयकुमार ने ये बात कही।
मार्केट के वैल्यूएशन पर दिखा असर
प्रदर्शन में यह विरोधाभास मूल्यांकन में भी दिखता है। विजयकुमार ने कहा कि जहां निफ्टी वित्त वर्ष 2024 की अनुमानित आय के 21 गुना से ऊपर कारोबार कर रहा है, वहीं शंघाई कंपोजिट केवल 11.5 गुना पर कारोबार कर रहा है। जनवरी में सभी उभरते बाज़ार सूचकांकों का प्रदर्शन नकारात्मक रहा, जिसमें चीन 10.6 प्रतिशत के साथ सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश रहा। मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी की एक रिपोर्ट के अनुसार, जहां तक विकसित बाजारों का सवाल है, जापान 4.6 प्रतिशत के साथ सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला देश बनकर उभरा है। जनवरी 2024 में निफ्टी में 0.03 फीसदी की गिरावट आई। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, पिछले साल से सूचकांक में सकारात्मक वृद्धि देखी गई है।
इस कारण चीनी बाजार का खराब प्रदर्शन
चीनी अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुजर रही है। विकास दर में भारी गिरावट, बढ़ती बेरोजगारी और रियल एस्टेट बाजार गंभीर संकट में है। भारत निश्चित रूप से अधिक पूंजी प्रवाह को आकर्षित करेगा। उन्होंने कहा, चिंता की बात भारत में हाई वैलुएशन है। इसका असर आज देखने को मिला। बाजार में बिकवाली के दबाव के बीच सोमवार को स्मॉल कैप शेयरों में गिरावट देखी गई। कमजोर बाजार में इंफ्रास्ट्रक्चर और पीएसयू शेयरों को भी बिकवाली का दबाव झेलना पड़। दोनों इंडेक्स 3 फीसदी से ज्यादा लुढ़क गए।
इनपुट: आईएएनएस