अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये पर शुक्रवार को दबाव बढ़ गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में 8 अक्टूबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया पांच पैसे टूटकर 84.37 (अस्थायी) के अपने नए सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती का हालिया निर्णय वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में बदलाव का संकेत देता है। साथ ही डोनाल्ड ट्रंप की टैक्स और व्यापार नीतियों की वजह से ग्लोबल मार्केट प्रभावित हो सकता है जिससे रुपये में फिर से अस्थिरता आ सकती है।
84.38 के निचले स्तर को छू गया
खबर के मुताबिक, अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 84.32 प्रति डॉलर पर खुला। कारोबार के दौरान यह 84.31 के उच्चस्तर और 84.38 के निचले स्तर के बीच रहने के बाद आखिर में पांच पैसे की गिरावट के साथ 84.37 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ। गुरुवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक पैसे की गिरावट के साथ 84.32 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ था।
एक्सपर्ट क्या कहते हैं
शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि घरेलू बाजारों में बिकवाली और विदेशी कोषों की लगातार निकासी के चलते रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से भी रुपये पर दबाव पड़ा। उन्होंने कहा कि आशंका है कि डॉलर में समग्र मजबूती और कमजोर घरेलू बाजारों के कारण रुपया नकारात्मक रुख के साथ कारोबार करेगा। एफआईआई की निकासी भी रुपये पर दबाव डाल सकती है। वैसे रिजर्व बैंक की तरफ से किसी भी तरह का हस्तक्षेप रुपये को निचले स्तर पर सहारा दे सकता है।
फेड रिजर्व की रेट कटौती
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा बाजार अनुमानों के मुताबिक ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती किए जाने से डॉलर में नरमी आई। फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत है और कुछ निगेटिव रिस्क कम हो गए हैं। अपनी नवीनतम मौद्रिक नीति घोषणा में, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी बेंचमार्क दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 4.5 प्रतिशत से 4.75 प्रतिशत की लक्ष्य सीमा तक कर दिया। पिछले तीन सत्रों में स्थानीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 28 पैसे कमजोर हुई है।