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UPI सर्विस पर लगा ट्रांजेक्शन चार्ज तो 75% यूजर्स बंद कर देंगे इस्तेमाल, जानिए सर्वे की बड़ी बातें

सर्वे कहता है कि सिर्फ 22 प्रतिशत यूपीआई यूजर्स भुगतान पर लेनदेन शुल्क का बोझ उठाने को तैयार हैं। वहीं, 75 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अगर लेनदेन शुल्क लगाया जाता है, तो वे यूपीआई का उपयोग करना बंद कर देंगे।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published on: September 22, 2024 14:37 IST
यूपीआई सर्विस- India TV Paisa
Photo:FILE यूपीआई सर्विस

यूपीआई सेवा पर यदि किसी तरह का लेनदेन शुल्क लगाया जाता है, तो 75 फीसदी उपयोगकर्ता इसका इस्तेमाल बंद कर देंगे।‘लोकलसर्किल्स’के रविवार को जारी एक सर्वे में यह निष्कर्ष निकाला गया है। सर्वे के अनुसार, 38 प्रतिशत यूजर्स अपना 50 प्रतिशत भुगतान लेनदेन डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या किसी अन्य प्रकार के डिजिटल माध्यम के बजाय यूपीआई के जरिये करते हैं। सर्वे कहता है कि सिर्फ 22 प्रतिशत यूपीआई यूजर्स भुगतान पर लेनदेन शुल्क का बोझ उठाने को तैयार हैं। वहीं, 75 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अगर लेनदेन शुल्क लगाया जाता है, तो वे यूपीआई का उपयोग करना बंद कर देंगे। यह सर्वे तीन व्यापक क्षेत्रों पर किया गया है। इसमें 308 जिलों से 42,000 प्रतिक्रियाएं मिली हैं। हालांकि, प्रत्येक सवाल पर उत्तरों की संख्या अलग-अलग थी।

ट्रांजेक्शन वॉल्यूम में 57% का उछाल

यूपीआई पर लेनदेन शुल्क से संबंधित प्रश्न को लेकर 15,598 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने 2023-24 में इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लेन-देन की मात्रा में रिकॉर्ड 57 प्रतिशत और मूल्य में 44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। पहली बार किसी वित्त वर्ष में यूपीआई लेन-देन 100 अरब को पार कर गया है। यह 2023-24 में 131 अरब रहा, जबकि 2022-23 में यह 84 अरब था। रिपोर्ट में कहा गया है कि मूल्य के लिहाज से यह 1,39,100 अरब रुपये से बढ़कर 1,99,890 अरब रुपये पर पहुंच गया है।

10 में से 4 लोग UPI पर निर्भर

सर्वे के अनुसार, 37 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने मूल्य के लिहाज से अपने कुल भुगतान के 50 प्रतिशत से अधिक के लिए यूपीआई लेन-देन खातों को शेयर किया। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है,‘यूपीआई तेजी से 10 में से चार उपभोक्ताओं के भुगतान का अभिन्न अंग बन रहा है। इसलिए किसी भी तरह का डायरेक्ट या इनडायरेक्ट लेनदेन शुल्क लगाए जाने का कड़ा विरोध हो रहा है।’’लोकलसर्किल्स इस सर्वे के निष्कर्षों को वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ आगे बढ़ाएगा, ताकि किसी भी एमडीआर शुल्क की अनुमति देने से पहले यूपीआई उपयोगकर्ता की नब्ज को ध्यान में रखा जा सके। यह सर्वे 15 जुलाई से 20 सितंबर के बीच ऑनलाइन आयोजित किया गया था।

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