Share Market Invest Tips: अगर आपने फंडामेंटली अच्छे शेयर अपने पोर्टफोलियो में रखे हैं तो आपको सब्र रखना चाहिए, थोड़ा बहुत प्रॉफिट देखकर उसे बुक करने का लालच त्याग देना होगा, तभी तो आप लंबे समय तक इन्वेस्टेड रह सकते हैं। नहीं तो बार-बार खरीदते बेचते रहने से आपका फायदा कम और ब्रोकर का फायदा ज्यादा होगा। तो सवाल यही उठता है कि किसी के पास कुबेर का खजाना तो है नहीं तो वो फिर इन्वेस्टमेंट के लिए पैसे कहां से लाएगा।
स्विंग ट्रेडिंग के लिए पैसे कहां से लाएं ?
इन्वेस्टमेंट करने के लिए पैसों का होना जरूरी है और इसके लिए आप थोड़ा बहुत स्विंग ट्रेडिंग भी कर सकते हैं। स्विंग ट्रेडिंग को इंट्रा डे ट्रेडिंग के मुकाबले थोड़ा कम जोखिम वाला माना जाता है। जहां इंट्रा डे में एक दिन में ही आपको अपना सौदा स्क्वेयर ऑफ करना होता है तो ये मजबूरी स्विंग ट्रेडिंग के साथ नहीं होती। लेकिन स्विंग ट्रेडिंग में ब्रोकर आपको मार्जिन नहीं देता यानी जितना शेयर लेना है वो पूरा पैसा आपको खुद लगाना होता है, लेकिन इसमें एक चीज अच्छी है वो ये कि आप अपने फायदे के हिसाब से शेयर को चाहे कितना भी दिन अपने पास रख सकते हैं और जब मुनाफा दिखे तो आप उसे बेच सकते हैं। लेकिन अगर आपको चार्ट की समझ हो, टेक्निकल एनालिसिस करना जानते हों तभी आप स्विंग ट्रेडिंग में हाथ आजमाएं, आंखें मूंदकर या किसी के कहने पर नहीं।
100 में से 30 रुपये ही स्विंग ट्रेडिंग में लगाएं, ज्यादा नहीं
अगर आपने ठान लिया है कि आपको स्विंग ट्रेडिंग करना है तो अपने कुल पोर्टफोलियो का 30% ही आप स्विंग ट्रेडिंग में लगाएं। बाकी के 70% पैसे आप फंडामेंटली स्ट्रॉन्ग शेयर में इन्वेस्टेड रहने दें। यानी अगर कोई ग्रोथ शेयर दोगुना हो चुका है तो बहुत लोग कहेंगे कि 50% शेयर बेचकर अपना मूलधन निकाल लो और बाकी के 50% शेयर को इन्वेस्टेड रहने दो। लेकिन मेरा ये मानना है कि आप अपने दौड़ते हुए घोड़े को लंगड़ा न करें। ऐसा नहीं है कि वो शेयर पहली बार 100% का रिटर्न दे रहा है। उसके पास्ट ग्रोथ को चेक करेंगे तो आपको समझ आ जाएगा कि अभी तक उस शेयर ने अपने निवेशकों को ऑल टाइम कितना प्रॉफिट दिया है। कई ऐसे शेयर मिल जाएंगे जिसने पिछले 10 से 15 साल में अपने निवेशकों के पैसे को 40 से 50 गुना या उससे भी ज्यादा कर दिया। तब आप महज दोगुना होने पर प्रॉफिट बुक करने की जल्दी क्यों करते हैं। अगर आपने लॉन्ग टर्म के लिए पैसे इन्वेस्ट किए हैं तो फिर हड़बड़ी क्यों।
जिसकी जितनी कपैसिटी उतना उठाता है प्रॉफिट
मान लीजिए आपके पास एक बाल्टी है। उस बाल्टी को लेकर आप तालाब के पास जाएं या फिर किसी नदी या समंदर के पास, आप पानी बस एक बाल्टी ही भर पाएंगे। ये शेयर मार्केट समंदर की तरह है। जहां पैसे ही पैसे हैं। लेकिन इस शेयर मार्केट रूपी समंदर से कितने लोग पैसा कमा पाते हैं और कितने लोग अपना पूरा पैसा गंवा देते हैं, ये सब जानते हैं। शेयर मार्केट में किसी को घाटा होता है तो वही पैसा किसी दूसरे के पास फायदे के रूप में पहुंचता है। अब ये आपको तय करना है कि आप लॉन्ग टर्म इन्वेस्टेड रहकर फायदे में रहना चाहते हैं या फिर घाटे में।
अच्छे शेयर खरीद रखे हैं तो रोज़- रोज़ पोर्टफोलियो न देखें
कुछ लोग अच्छे शेयर में इन्वेस्टमेंट करने के बाद भी उसे रोज-रोज देखते हैं... और बेवजह अपना बीपी घटाते-बढ़ाते हैं। तो क्या अपना फोर्टफोलियो न देखें, तो जवाब है- जरूर देखिए। हर कोई देखता है। लेकिन इन्वेस्टिंग किया है तो ट्रेडिंग का माइंडसेट क्यों? क्या किसी शेयर में एक दिन में 5-6% के जंप पर आपका दिल प्रॉफिट बुक करने के लिए मचल उठता है और क्या 5-6% नीचे गिरने पर आपका दिल तड़प उठता है। तो फिर आप इन्वेस्टर नहीं ट्रेडर हैं। और अगर आप ट्रेडिंग माइंडसेट से शेयर बाजार में हैं तो बस यही थोड़े बहुत प्रॉफिट उठाकर आप बार-बार शेयर को बेचते और खरीदते रहेंगे, उसे कंपाउंडिंग करने का मौका ही नहीं देंगे।
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