देशभर के किसानों के लिए अच्छी खबर है। मोदी सरकार ने 2024-25 रबी विपणन सत्र के लिए गेहूं खरीद का लक्ष्य तीन से 3.2 करोड़ टन तय किया है। गेहूं के अलावा, मंत्रालय ने चावल के मामले में रबी धान खरीद का लक्ष्य 90 लाख से एक करोड़ टन तय किया है। सरकार ने रबी मोटे अनाज/बाजरा (श्रीअन्न) के लिए 6,00,000 टन का खरीद लक्ष्य भी निर्धारित किया है। कृषि मंत्रालय को फसल वर्ष 2023-24 (जुलाई-जून) में 11.4-11.5 करोड़ टन के रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन की उम्मीद है। बैठक में केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से फसलों के विविधीकरण और आहार में पोषण बढ़ाने के लिए बाजरा की खरीद पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है। कृषि क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि यह किसानों के लिए अच्छी खबर है। सरकार की ओर से खरीदारी होने से उनके फसल का सही मूल्य मिल पाएगा। इससे मुनाफा बढ़ेगा जो किसानों को समृद्ध करने का काम करेगा।
खाद्य सचिवों के साथ बैठक के बाद फैसला
केंद्र के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा रबी और खरीफ फसलों की खरीद व्यवस्था पर चर्चा के लिए राज्य के खाद्य सचिवों के साथ यहां आयोजित एक बैठक के बाद यह अनुमान जारी किया गया है। खरीद को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों जैसे मौसम की स्थिति का पूर्वानुमान, उत्पादन अनुमान और राज्यों की तैयारी की समीक्षा की गई। इसके अलावा, तेलंगाना सरकार ने आपूर्ति श्रृंखला अनुकूलन के संबंध में अपनाई गई अच्छी प्रथाओं को साझा किया और केंद्र सरकार की इस पर्यावरण अनुकूल पहल के माध्यम से सालाना 16 करोड़ रुपये की बचत का संकेत दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने ई-पीओएस को इलेक्ट्रॉनिक वजन पैमाने के साथ जोड़ने के संबंध में सफल पहल साझा की, जिसने लाभार्थियों को उनकी हक की मात्रा के अनुसार खाद्यान्न की आपूर्ति प्रभावी ढंग से सुनिश्चित की है।
किसानों के आंदोलन से खरीद पर असर नहीं होगा
खाद्य सचिव ने हाल में कहा था कि पंजाब-हरियाणा सीमा पर किसानों के आंदोलन से खरीद परिचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। आमतौर पर गेहूं की खरीद अप्रैल से मार्च तक की जाती है। हालांकि, इस साल केंद्र ने बाजार में फसल की आवक के हिसाब से राज्यों को गेहूं खरीद की अनुमति दी है। ज्यादातर राज्यों में गेहूं की आवक मार्च के पहले पखवाड़े में शुरू हो जाती है। उत्तर प्रदेश और कुछ गेहूं उत्पादक राज्यों ने संकेत दिया है कि वे एक मार्च खरीद शुरू करेंगे। सरकार सार्वजनिक वितरण को केंद्रीय पूल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं और धान की खरीद करती है। इनका वितरण राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत किया जाता है। प्रत्येक विपणन सत्र की शुरुआत में केंद्र सरकार राज्यों और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के साथ विचार-विमर्श के बाद खरीद लक्ष्य तय करती है।