विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) एक बार फिर से बिकवाल बन गए हैं। वो अपना पैसा भारतीय बाजार से निकाल रहे हैं। अगस्त महीने में अब तक भारतीय इक्विटी बाजार से 13,400 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। यानी सिर्फ 7 ट्रेडिंग डे में इतनी बड़ी बिकवाली की है। आपको बता दें कि पिछले दो महीनों में भारतीय बाजार में निवेश करने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) अब शुद्ध विक्रेता बन गए हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल अब तक एफपीआई ने भारतीय इक्विटी बाजार में 22,134 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है।
क्यों निकाल रहे हैं पैसा
येन कैरी ट्रेड को खत्म करने और अमेरिका में मंदी की आशंकाओं के बीच एफपीआई ने यह निकासी की है। विजयकुमार ने कहा कि बैंक ऑफ जापान द्वारा ब्याज दरें 0.25 प्रतिशत तक बढ़ाने और अमेरिका में मंदी की आशंकाओं के बाद येन कैरी ट्रेड बंद होने से अगस्त में निकासी हुई है। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के सह निदेशक एवं शोध प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने, खासकर इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष के कारण यह और भी बढ़ गया। इसकी वजह से भी विदेशी निवेशकों ने अपने जोखिम को कम कर दिया। इसके अलावा, भारतीय बाजारों के उच्च मूल्यांकन को देखते हुए विदेशी निवेशक मुनाफा कमाने के लिए प्रेरित हुए। श्रीवास्तव ने कहा कि कमजोर रोजगार आंकड़ों से अमेरिका में मंदी की आशंका के जोर पकड़ने और ब्याज दरों में कटौती के समय को लेकर अनिश्चितता जैसे कारकों से भी भारतीय बाजार से निकासी हुई।
बिकवाली जारी रखने की आशंका
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि भविष्य में बाजार में तेजी बने रहने की स्थिति में विदेशी निवेशक अधिक बिक्री कर सकते हैं। इसकी वजह यह है कि भारतीय इक्विटी बाजार का मूल्यांकन तुलनात्मक रूप से ऊंचा बना हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने अगस्त महीने में अब तक निकासी की है। इसके पहले जुलाई में आर्थिक वृद्धि मजबूत बने रहने की उम्मीद, सुधारों का सिलसिला जारी रहने और उम्मीद से बेहतर कंपनी नतीजों के असर में 32,365 करोड़ रुपये का एफपीआई निवेश आया था। जून में भी राजनीतिक स्थिरता कायम रहने और बाजारों में तेज उछाल के कारण 26,565 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश आया था।
मई में भी भारत से निकाले थे पैसा
हालांकि इससे पहले मई में एफपीआई ने चुनावी झटकों के कारण 25,586 करोड़ रुपये और अप्रैल में मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में निरंतर वृद्धि की चिंताओं के कारण 8,700 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी। एफपीआई 31 जुलाई को समाप्त पखवाड़े में वित्तीय सेवा शेयरों में लगातार बिकवाली कर रहे थे। हालांकि, इस दौरान उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), वाहन, पूंजीगत उत्पाद और धातुओं में खरीदारी की। दूसरी ओर, एफपीआई ने अगस्त में अब तक ऋण बाजार में 6,261 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इससे वर्ष 2024 में यह आंकड़ा 97,249 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।