Wednesday, December 25, 2024
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इस साल FPI पड़े सुस्त, कम आया निवेश, 2025 के लिए क्या हैं संकेत?

वर्ष 2024 में जनवरी, अप्रैल, मई, अक्टूबर और नवंबर महीनों में एफपीआई बिकवाल रहे। 2024 में एफपीआई प्रवाह में भारी गिरावट वैश्विक तथा घरेलू कारकों के कारण हुई।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Dec 25, 2024 13:57 IST, Updated : Dec 25, 2024 13:58 IST
एफपीआई निवेश
Photo:FILE एफपीआई निवेश

भारतीय शेयर बाजारों में 2023 में मजबूत निवेश के बाद विदेशी निवेशकों ने 2024 में अपने निवेश को काफी हद तक कम कर दिया। इस साल शुद्ध प्रवाह 5,000 करोड़ रुपये से अधिक रहा। उच्च घरेलू वैल्यूएशन और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच निवेशकों का अधिक सतर्क रुख अपनाना इसकी मुख्य वजह रही। वेंचुरा सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख विनीत बोलिंजकर ने कहा कि 2025 की ओर देखते हुए भारतीय शेयर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के प्रवाह में सुधार देखने को मिल सकता है। इसे कॉर्पोरेट आय में चक्रीय उछाल से समर्थन मिलेगा खासकर पूंजीगत वस्तुओं, मैन्यूफैक्चरिंग व इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे घरेलू-उन्मुख क्षेत्रों में।

हालांकि, आसियान तथा लैटिन अमेरिका जैसे अन्य उभरते बाजारों में हाई वैल्यूएशन और सस्ते विकल्प इन प्रवाहों को बाधित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा लंबे समय तक वैश्विक मंदी के चलते बनी चिंताएं निवेशकों की भावनाओं तथा जोखिमपूर्ण एसेट्स के प्रति उनकी रुचि पर असर डाल सकती हैं। दूसरी ओर आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड के डिप्टी सीईओ (उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी) फिरोज अजीज ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव, केंद्रीय बैंक की ब्याज दरों में कटौती तथा संभावित अमेरिकी शुल्क प्रतिबंध भारतीय बाजारों में एफपीआई प्रवाह के लिए अनुकूल स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं।

कितना किया निवेश

‘डिपॉजिटरीज’के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजारों में 5,052 करोड़ रुपये से अधिक और ऋण बाजार में 1.12 लाख करोड़ रुपये (24 दिसंबर तक) का शुद्ध निवेश किया है। इससे पहले 2023 में शेयर बाजार में 1.71 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया गया था जो भारत के जुझारू आर्थिक बुनियादी ढांचे के बारे में आशावाद से प्रेरित रहा था। इसके विपरीत 2022 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों की आक्रामक दर वृद्धि के कारण 1.21 लाख करोड़ रुपये की सबसे अधिक शुद्ध बिकवाली दर्ज की गई थी। हालांकि, इससे पहले तीन वर्षों 2019, 2020 तथा 2021 में एफपीआई ने निवेश किया था।

इन 5 महीने बिकवाल रहे एफपीआई

वर्ष 2024 में जनवरी, अप्रैल, मई, अक्टूबर और नवंबर महीनों में एफपीआई बिकवाल रहे। 2024 में एफपीआई प्रवाह में भारी गिरावट वैश्विक तथा घरेलू कारकों के कारण हुई। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के मैनेजर रिसर्च के‘एसोसिएट डायरेक्टर’हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय शेयर बाजार में कम निवेश मुख्य रूप से हाई वैल्यूएशन के कारण हुआ, जिससे निवेशकों ने आकर्षक मूल्य वाले चीनी शेयर बाजार में निवेश किया। इस बदलाव को चीन द्वारा आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए प्रोत्साहन उपायों की श्रृंखला से और बढ़ावा मिला, जिससे उसके शेयर बाजार में तेजी से आकर्षण बढ़ा। इसके अलावा, भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि खासकर इजराइल-ईरान संघर्ष, जोखिम से बचने की प्रवृत्ति में वृद्धि, निवेशकों को सुरक्षित परिसंपत्तियों की ओर धकेल रही है।

क्यों कम हुआ FPI का भरोसा

उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले सतर्कता तथा इस साल की 100 आधार अंकों की कटौती के बावजूद अगले साल अमेरिकी फेडरल दरों में कम कटौती की चिंताओं ने धारणा को और कमजोर कर दिया। ग्रोथ इन्वेस्टिंग के‘स्मॉलकेस’प्रबंधक एवं संस्थापक नरेन्द्र सिंह ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर हाई वैल्यूएशन, सितंबर तिमाही के लिए कमजोर कॉर्पोरेट आय, दिसंबर के लिए कमजोर परिणामों की आशंका, बढ़ती मुद्रास्फीति, धीमी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि और कमजोर रुपये जैसे कारकों ने निवेशकों के विश्वास को कम कर दिया है। हालांकि, अस्थिरता के बावजूद एफपीआई ने दिसंबर में रिकवरी के संकेत दिये। अब तक शुद्ध प्रवाह 20,071 करोड़ रुपये से अधिक रहा है, जो भारतीय शेयर बाजारों में नए सिरे से बढ़ती रुचि का संकेत है।

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