अक्टूबर और नवंबर महीने में बड़ी बिकवाली के बाद विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में लौट आए हैं। दिसंबर में अब तक विदेशी निवेशकों ने 24,454 करोड़ रुपये का निवेश किया है। मार्केट एक्सपर्ट का मानना है कि ट्रेंड रिवर्सल विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय शेयर बाजार में साल के अंत में मुनाफे पर दांव लगाने की एक स्पष्ट रणनीति है। आपको बता दें कि मध्य पूर्व में चल रहे भू-राजनीतिक तनाव और चीनी शेयर बाजार में सस्ते मूल्यांकन के बीच अक्टूबर में एफपीआई आउटफ्लो 10 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। अब जब एक बार फिर विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में लौटे हैं तो इसके क्या मायने हैं? अगर आप बाजार में पैसा लगाते हैं तो इस ट्रेंड को कैसे देखना चाहिए? आइए समझने की कोशिश करते हैं।
बाजार की धारणा बदल गई
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने दिसंबर महीने में अब तक भारतीय इक्विटी में ₹24,454 करोड़ का निवेश किया है। मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि मौजूदा रुझान में बदलाव भारत की एफआईआई रणनीति में स्पष्ट बदलाव है। यह तर्क दिया जा सकता है कि एफआईआई की निरंतर बिक्री का दौर खत्म हो चुका है। दिसंबर की शुरुआत में एफआईआई द्वारा खरीदार बनने से, पिछले दो महीनों के दौरान उनकी निरंतर बिक्री रणनीति पूरी तरह से पलट गई है, जिससे बाजार की धारणा बदल गई है।
गिरावट पर खरीदारी की सलाह
मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि स्टॉक मार्कट में बड़ी गिरावट के बाद तेज रिकवरी आई है। यह अवधि निवेशकों के लिए अपनी रणनीतियों को फिर से चेक करने के लिए एक उपयुक्त अवसर प्रदान करती है। निवेशक उभरते भारत की मध्यम से लंबी अवधि की विकास क्षमता का लाभ उठा सकते हैं। लंबी अवधि में भारतीय बाजार में तेजी बनी रहेगी। इसका फायदा उठाने के लिए गिरावट पर खरीदारी की रणनीति अपनाने की सलाह है। बैंकिंग और आईटी जैसे प्रमुख क्षेत्रों का मजबूत प्रदर्शन जारी रहने की संभावना है। मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट में तेजी बनी रहेगी।