Thursday, September 19, 2024
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फेड रिजर्व के रेट चेंज करने पर भारतीय बाजार ने पहले कैसे किया है रिएक्ट, जानें क्या हुआ था असर

भारतीय बाजारों के लिए, सबसे अनुकूल अवधि जुलाई 1990 से फरवरी 1994 तक फेड की ब्याज दर में कटौती का चक्र था। इस दौरान निफ्टी में 310 प्रतिशत की जबरदस्त उछाल देखी गई थी।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: September 19, 2024 7:57 IST
बीते 34 सालों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व छह बार ब्याज दरों में कटौती और सख्ती से गुजरा है।- India TV Paisa
Photo:FED RESERVE/PIXABAY बीते 34 सालों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व छह बार ब्याज दरों में कटौती और सख्ती से गुजरा है।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बीती रात (भारतीय समय के मुताबिक) अपनी बेंचमार्क ब्याज दर में 50 आधार अंकों की कटौती की है। यह चार साल बाद की गई पहली कटौती है। इसका  असर दुनिया के बाकी मार्केट की तरह भारत पर भी पड़ेगा। इससे पहले भी जब भी अमेरिकी केंद्रीय बैंक (फेड रिजर्व) ने अपनी रेट में किसी तरह का बदलाव किया है तो उसका असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिला है। फेड रिजर्व की इस कटौती से पहले भारत के केंद्रीय बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने हाल ही में कहा है कि देश में नीतिगत ब्याज दर में कटौती महंगाई की दीर्घकालीन दर पर निर्भर करेगी न कि मासिक आंकड़ों पर।

भारतीय बाजार ने कैसे किया रिएक्ट

कैपिटलमाइंड फाइनेंशियल सर्विसेज की एक हालिया रिपोर्ट में पिछले दो दशकों में भारतीय बाजारों की लचीलापन फोकस किया गया है।  लाइवमिंट की खबर के मुताबिक, ऐसा देखा गया है कि फेड की ब्याज दरों में बढ़ोतरी के ऐलान के दिन आम तौर पर इक्विटी बाजारों में निगेटिव रुझान देखने को मिलते हैं, लेकिन अक्सर अगले दिन उछाल आता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 20 सालों में, निफ्टी ने लगातार स्थानीय मुद्रा के संदर्भ में एसएंडपी 500 से बेहतर प्रदर्शन किया है या कम से कम उसके साथ तालमेल बनाए रखा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 34 सालों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व छह बार ब्याज दरों में कटौती और सख्ती से गुजरा है। भारतीय बाजारों के लिए, सबसे अनुकूल अवधि जुलाई 1990 से फरवरी 1994 तक फेड की ब्याज दर में कटौती का चक्र था। इस दौरान निफ्टी में 310 प्रतिशत की जबरदस्त उछाल देखी गई थी। जून 2004 से सितंबर 2007 तक का सख्ती वाला चक्र भी 202 प्रतिशत की बढ़त के साथ फायदेमंद साबित हुआ। हालांकि, निफ्टी ने दो बार रेट में हुई बढ़ोतरी के दौरान निगेटिव रिटर्न भी देखा। एक,  फरवरी 1994 से जुलाई 1995 तक जब इसमें 23 प्रतिशत की गिरावट आई और दूसरा,  मार्च 1997 से सितंबर 1998 तक, जब इसमें 14% की गिरावट आई।

पहले भी कटौती पर पॉजिटिव रिएक्शन दिखा

आज से पहले साल 2019-20 की अवधि के दौरान दरों में कटौती का घरेलू और वैश्विक सूचकांकों ने पॉजिटिव रिएक्शन दिया है। कटौती से पहले के छह महीनों में, एसएंडपी 500 और निफ्टी क्रमशः 12 प्रतिशत और 5 प्रतिशत बढ़े थे। दरों में कटौती के दौरान भी, एसएंडपी 500 और निफ्टी क्रमशः 15 प्रतिशत और 10 प्रतिशत बढ़े। इस दौरान भारत में कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी, रियल एस्टेट, फाइनेंशियल और ऑटो सेक्टर ने बेहतर प्रदर्शन किया था।

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