केंद्रीय बजट इस महीने आएगा। बाकी सेक्टर के साथ ही एनबीएफसी सहित बैंकिंग सेक्टर को वित्त मंत्री से काफी उम्मीदें हैं। बैंकरों ने वित्त वर्ष 2025 के आगामी बजट से पहले केंद्र को जमाराशि, गृह ऋण पर कर राहत और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए एक स्वतंत्र रीफाइनेंस बॉडी के गठन के लिए लिए सिफारिश की है। बैंकरों को उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों पर बजट में ध्यान देगी। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, एनबीएफसी के एक उद्योग निकाय, वित्त उद्योग विकास परिषद (एफआईडीसी) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से एनबीएफसी के लिए एक समर्पित रीफाइनेंस बॉडी बनाने का अनुरोध किया है, जिस तरह से राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को पूंजी प्रदान करता है।
तरलता संबंधी चिंताओं पर ध्यान दे सरकार
खबर के मुताबिक, उद्योग निकाय का कहना है कि पिछले कुछ सालों में, एनबीएफसी, खासतौर से बड़ी संख्या में छोटे और मध्यम आकार के एनबीएफसी के लिए तरलता एक चुनौती रही है। वित्त पोषण के लिए बैंकों पर अत्यधिक निर्भरता की हालिया चिंताओं ने तरलता संबंधी चिंताओं को और बढ़ा दिया है। ऐसे में एनबीएफसी के लिए एक रीफाइनेंस विंडो बनाने की तत्काल जरूरत है ताकि फंड्स का एक सुचारू और सतत प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके।
एनसीडी पर ब्याज भुगतान पर 10% टीडीएस हटाने का अनुरोध
निकाय का कहना है कि इस तंत्र के जरिये जुटाए गए धन का उपयोग विशेष रूप से एमएसएमई और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को वित्तपोषित करने के लिए किया जा सकता है। एनबीएफसी ने वित्त मंत्री से एनसीडी पर ब्याज भुगतान पर 10% टीडीएस हटाने का अनुरोध किया है। सरकार ने सूचीबद्ध प्रतिभूतियों पर टीडीएस शुरू करने के बारे में सोचा क्योंकि ग्राहक टैक्स का भुगतान नहीं कर रहे हैं। भारतीय स्टेट बैंक ने खाताधारकों को ब्याज से मिलने वाली आय पर कर राहत की वकालत की है।
इस राशि को बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने की मांग
मौजूदा टैक्सेशन कानूनों के तहत, जब जमाराशि 40,000 रुपये प्रति वर्ष से अधिक हो तो बैंक जमाराशि (सभी बैंक शाखाओं में) पर अर्जित ब्याज आय पर टैक्स काटते हैं। बचत खाते के लिए, 10,000 रुपये तक अर्जित ब्याज टैक्स से मुक्त है। इसके अलावा, वर्तमान में आयकर अधिनियम की धारा 24 (बी) के तहत, व्यक्ति ब्याज राशि पर 2 लाख रुपये तक की होम लोन टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं। बैंकरों का कहना है कि इस राशि को बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जाना चाहिए।
ज्यादातर दूसरे टैक्स बचत साधनों में तीन साल की लॉक-इन अवधि होती है। बैंकों में, टैक्स बचत एफडी (सावधि जमा) की अवधि पांच साल है। यह एक मुद्दा है जिसके कारण बैंक अधिक जमा नहीं जुटा पा रहे हैं। बैंकरों का कहना है कि केंद्र को टैक्स बचत एफडी की अवधि को दूसरे टैक्स बचत साधनों के बराबर लाना चाहिए।