अडाणी ग्रुप की 10 कंपनियों के शेयरों में तूफानी तेजी आज देखने को मिल रही है। अडाणी टोटल गैस के शेयर 20 प्रतिशत उछलकर 644.15 रुपये पर कारोबार कर रहा है। वहीं अडाणी एनर्जी सॉल्यूशंस के शेयर में 13 प्रतिशत, अडाणी पावर के शेयर में 8.46 प्रतिशत, अडाणी ग्रीन एनर्जी के शेयर में 17.66 प्रतिशत, अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर में 9.75 प्रतिशत, अडाणी विल्मर के शेयर में 9.99 प्रतिशत और एनडीटीवी के शेयर में 11.09 प्रतिशत का उछाल आया। अडाणी पोर्ट्स के शेयर में 5.41 प्रतिशत, अंबुजा सीमेंट्स में 4.41 प्रतिशत और एसीसी में 3.21 प्रतिशत की तेजी है। आखिर क्या वजह है कि अडाणी ग्रुप की सभी 10 कंपनियों के स्टॉक्स में तूफानी तेजी लौटी है। आइए जानते हैं।
इस कारण कंपनी के शेयरों में आया उछाल
आपको बता दें कि आज अडाणी ग्रुप के शेयरों में शानदार तेजी की वजह से ग्रुप का मार्केट कैप एक दिन में 15 अरब डॉलर बढ़ गया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा लेखांकन धोखाधड़ी और स्टॉक हेरफेर के अमेरिकी शॉर्ट-सेलर के आरोपों पर कंपनियों की जांच के लिए अपना आदेश सुरक्षित रखने के बाद 28 नवंबर को समूह के शेयरों में जबरदस्त तेजी लौटी है। आपको बता दें कि आज सुबह सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी कि समूह के खिलाफ बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की जांच को "बदनाम" करने का कोई कारण नहीं है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई के समापन के बाद अदानी-हिंडनबर्ग विवाद से संबंधित याचिकाओं के एक बैच पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने क्या कहा-
- सेबी को सभी 24 मामलों की जांच पूरी करनी होगी।
- हमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट को सत्य नहीं मान सकते हैं। हिंडनबर्ग रिपोर्ट की सत्यता का परीक्षण करने का कोई साधन नहीं है और इसलिए सेबी से जांच करने को कहा गया है।
- आरोप लगाने में कुछ जिम्मेदारी तो होनी ही चाहिए।
- क्या सेबी को कानून के तहत कार्यवाही शुरू करने से पहले ही निष्कर्षों का खुलासा करने के लिए कहा जा सकता है? हम सेबी के निष्कर्षों का पूर्व-निर्णय कैसे कर सकते हैं?
- सेबी से यह नहीं कहा जा सकता कि वह अखबार में छपी खबर को, चाहे वह फाइनेंशियल टाइम्स में ही क्यों न हो, सत्य मान ले।
22 मामलों की जांच पूरी हो चुकी
अडाणी समूह के खिलाफ लगे आरोपों से संबंधित 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी हो चुकी है जबकि दो मामलों में विदेशी नियामकों से जानकारी हासिल करने की जरूरत है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि बाकी दो मामलों के लिए हमें विदेशी नियामकों से जानकारी और कुछ अन्य सूचनाओं की जरूरत है। हम उनके साथ परामर्श कर रहे हैं। कुछ जानकारी मिली है लेकिन स्पष्ट कारणों से समय सीमा पर हमारा नियंत्रण नहीं है।" पीठ ने ‘शॉर्ट सेलिंग’ के संदर्भ में कोई गड़बड़ी पाए जाने के बारे में भी पूछा। इस पर मेहता ने कहा कि जहां भी सेबी को ‘शॉर्ट सेलिंग’ का पता चला है, वहां पर सेबी अधिनियम के अनुसार कार्रवाई की जा रही है। सॉलिलिटर जनरल ने कहा कि नियामक ढांचे को लेकर न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति के सुझाव मौजूद हैं। उन्होंने कहा, "विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में दिए गए सुझावों को लेकर सैद्धांतिक तौर पर कोई आपत्ति नहीं है।
हेराफेरी का कोई स्पष्ट सबूत नहीं
शीर्ष अदालत की तरफ से गठित विशेषज्ञ समिति ने मई में एक अंतरिम रिपोर्ट में कहा था कि उसने उद्योगपति गौतम अडाणी की कंपनियों में हेराफेरी का कोई स्पष्ट सबूत नहीं देखा और इसमें किसी भी तरह की नियामकीय नाकामी नहीं हुई थी। हालांकि समिति ने 2014 और 2019 के बीच सेबी द्वारा किए गए कई संशोधनों से जांच करने की उसकी क्षमता बाधित होने का उल्लेख करते हुए कहा था कि विदेशी कंपनियों से आने वाले निवेश में कथित उल्लंघनों की जांच में कुछ नहीं मिला है। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने मेहता से यह जानना चाहा कि भविष्य में भारी उतार-चढ़ाव से निवेशकों की पूंजी की सुरक्षित रखने के लिए सेबी किस तरह के कदम उठाने की मंशा रखता है।