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शेयर बाजार में हो रही सट्टेबाजी पर जल्द लगेगी लगाम, F&O सेगमेंट के नियम में ​सेबी करेगा ये बदलाव

इससे पहले, आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट 2023-24 में भी डेरिवेटिव खंड में खुदरा निवेशकों की बढ़ती रुचि पर चिंता जताई थी। समीक्षा के मुताबिक, एक विकासशील देश में सट्टा कारोबार की कोई जगह नहीं है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: July 31, 2024 6:38 IST
Futures and Options (F&O)- India TV Paisa
Photo:FILE फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O)

पूंजी मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) ने बेलगाम हो रहे डेरिवेटिव कारोबार (F&O) को काबू करने के लिए सख्त नियम लाने का प्रस्ताव दिया है। गौरतलब है कि फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) के जरिये जल्द पैसा बनाने के लिए छोटे निवेशक अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा इसमें लगा रहे हैं और डूबा रहे हैं। सेबी के अनुसार, 10 में से 9 छोटे निवेशक फ्यूचर्स एंड ऑप्शन में अपना पैसा डूबा रहे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इसको लेकर​ चिंता जताई थी। अब सेबी ने सख्त रुख अपनाया है। सेबी ने सट्टेबाजी आधारित कारोबार पर लगाम लगाने के लिए मंगलवार को न्यूनतम अनुबंध आकार में संशोधन और विकल्प प्रीमियम के अग्रिम संग्रह का प्रावधान कर इंडेक्स डेरिवेटिव के नियमों को कड़ा करने का प्रस्ताव रखा है। 

आर्थिक समीक्षा में भी चिंता जताई गई थी 

सेबी का यह प्रस्ताव केंद्रीय बजट में डेरिवेटिव खंड में खुदरा कारोबारियों की अत्यधिक दिलचस्पी से उपजी चिंताओं को दूर करने के लिए एक अक्टूबर से वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) सौदों पर प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) बढ़ाने की घोषणा के कुछ दिनों बाद आया है। इससे पहले, आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट 2023-24 में भी डेरिवेटिव खंड में खुदरा निवेशकों की बढ़ती रुचि पर चिंता जताई थी। समीक्षा के मुताबिक, एक विकासशील देश में सट्टा कारोबार की कोई जगह नहीं है। 

इन बदलावों पर सेबी ने सुझाव मांगे 

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने परामर्श पत्र में साप्ताहिक सूचकांक उत्पादों को तर्कसंगत बनाने, सौदे के दायरे की दिन में कारोबार के दौरान निगरानी, ​कीमतों को वाजिब बनाने, एफएंडओ सौदों के निपटान के दिन कैलेंडर स्प्रेड लाभ को हटाने और निकट अनुबंध समाप्ति मार्जिन को बढ़ाने जैसे उपायों का प्रस्ताव रखा है। सेबी ने इन प्रस्तावों पर 20 अगस्त तक सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। 

दो चरणों में बदलने की तैयारी

बाजार नियामक ने कहा कि व्यापक बाजार मापदंडों में देखी गई वृद्धि को देखते हुए सूचकांक डेरिवेटिव अनुबंधों के लिए न्यूनतम अनुबंध आकार को दो चरणों में संशोधित किया जाना चाहिए। पहले चरण के तहत, शुरुआत में डेरिवेटिव अनुबंध का न्यूनतम मूल्य 15 लाख रुपये से 20 लाख रुपये के बीच होना चाहिए। सेबी के मुताबिक, छह महीने के बाद दूसरे चरण के तहत अनुबंध का न्यूनतम मूल्य 20 लाख रुपये और 30 लाख रुपये के बीच रखा जाना चाहिए। 

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