अमेरिका में मंदी की आहट और दुनियाभर में जियो-पॉलिटिकल टेंशन बढ़ने से ग्लोबल स्टॉक मार्केट में बड़ी गिरावट है। भारतीय शेयर बाजार भी इससे अछूता नहीं है। भारतीय बाजार में भी पिछले तीन दिनों में बड़ी गिरावट आई है और निवेशकों के लाखों करोड़ रुपये डूब गए हैं। हालांकि, जब भी बाजार में बड़ी गिरावट आती है तो स्टॉक में 'एवरेजिंग' करने का सुनहरा मौका है। एवरेजिंग से मतलब है कि आपके पोर्टफोलियो में जो स्टॉक हैं, उसी शेयर को कम भाव पर खरीद कर एड करना। एवरेजिंग से निवेशकों को शेयरों की कुल लागत कम करने में मदद मिलती है। इससे उस शेयर में तेजी लौटने पर उन्हें जल्द अच्छा मुनाफा हो जाता है। आइए जानते हैं कि एवरेजिंग कब करना चाहिए और किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।
अच्छी कंपनी के स्टॉक में ही एवरेजिंग करें
मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि बाजार में जब गिरावट आती है तो सभी स्टॉक टूटते हैं लेकिन तेजी आने पर सभी स्टॉक नहीं चलते। इसलिए एवरेजिंग करने वक्त आपको पता होना चाहिए कि आपके पोर्टफोलियो में कौन अच्छा और कौन बुरा स्टॉक है। अगर आप कमजोर स्टॉक में एवरेजिंग करेंगे तो आपका पैसा फंस जाएगा। इसलिए एवरेजिंग करते वक्त कंपनी की बैलेंस शीट, कारोबारी मॉडल, वैल्यूएशन और आउटलुक जरूर देखें। ऐसा नहीं कि आप जिस भाव पर एवरेजिंग कर रहे हैं, उस भाव पर भी वह स्टॉक महंगा है। अगर ऐसा हुआ तो वह शेयर और टूट कर नीचे आ सकता है। यानी आपका नुकसान बढ़ जाएगा। इसलिए कंपनी का फंडामेंटल को देखकर ही एवरेजिंग करना फायदेमंद होता है।
एवरेजिंग में जोखिम भी बहुत
एवरेजिंग जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि शेयर की कीमत में गिरावट कंपनी के भीतर चल रहे घटनाक्रमों का संकेत दे सकती है जो तुरंत स्पष्ट नहीं होते हैं। अगर बाजार ने नकारात्मक घटनाक्रमों को सही ढंग से ध्यान में रखा है, तो अतिरिक्त शेयर खरीदने से अधिक नुकसान हो सकता है। कभी-कभी शेयर अत्यधिक कीमतों तक बढ़ जाती हैं, और जब वे 20 या 30 प्रतिशत तक करेक्ट हो जाते हैं। आपको वो सस्ते लगने लगते हैं लेकिन उनकी कीमत कमाई के आधार पर महंगे हो सकते हैं। इसलिए एवरेजिंग करते वक्त काफी सावधानी बरतनी चाहिए।