नई दिल्ली। अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरें बढाने के बाद सोने में आई गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के भाव 11 महीने के निचले स्तर 1122 डॉलर प्रति औंस पर आ गए है। वहीं, बाजार में दुनिया के सबसे बड़े एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) SPDR होल्डिंग्स ने ओपन मार्केट में एक दिन में 7 टन सोना बेच दिया है। इसीलिए अब माना जा रहा है कि सेफ इन्वेस्टमेंट डिमांड के चलते सोने में आई तेजी अब खत्म हो चुकी है। लिहाजा दुनियाभर के बड़े ब्रोकरेज हाउस और एक्सपर्ट्स का कहना हैं दिसंबर अंत तक घरेलू बाजार में सोने की कीमतें गिरकर 27 हजार रुपए प्रति दस ग्राम तक आ सकती है।
1 दिन में बेचा 700 किलो सोना
- ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के सबसे बड़ा ईटीएफ SPDR होल्डिंग्स ने 1 दिन में करीब 7 टन (700 किलो) सोने की बिकवाली की है।
- अब SPDR की होल्डिंग घटकर 842.33 टन पर आ गई है।
SPDR होल्डिंग्स की बिकवाली का क्या है मतलब
- निर्मल बंग सिक्युरिटी के कमोडिटी हेड कुणाल शाह ने paisa.khabarindiatv.com को बताया कि SPDR होल्डिंग्स की बिकवाली का मतबल साफ है, आगे सोने की कीमतों में और तेजी की उम्मीद नहीं है। SPDR मौजूदा स्तर पर मुनाफावसूली कर रहा है।
- दुनियाभर में बॉन्ड यील्ड में आई गिरावट के चलते सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिली थी, लेकिन अब अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ गई है इसीलिए कीमतों पर दबाव है।
तस्वीरों में देखिए नए नोट को
Rs 500 and 1000
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सोने में आ सकती है तेज गिरावट
- केडिया कमोडिटी के एमडी अजय केडिया के मुताबिक सोने में तेजी के सभी कारण इंटरनेशनल मार्केट से जुड़े है।
- अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से डॉलर इंडेक्स 14 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। लिहाजा सोने में गिरावट गहरा सकती है।
- अब चार्ट्स पर भी ट्रेंड रिवर्सल नजर आ रहा है। इसीलिए आने वाले दिनों में सोने का भाव फिर से 1100 डॉलर प्रति औंस के नीचे जा सकते हैं।
सोने के फंडामेंटल में नहीं हुआ बड़ा सुधार
- ब्रोकरेज हाउस HSBC की हाल में जारी रिपोर्ट के मुताबिक सेफ हैवन डिमांड के चलते दुनियाभर के बड़े ईटीएफ ने सोने में खरीददारी की थी। जबकि इमर्जिंग मार्केट्स में लगातार सोने की डिमांड गिर रही है।
- इसीलिए इस साल की औसत कीमतें 1100 डॉलर प्रति औंस के आस-पास रहने की उम्मीद है।
अमेरिकी डॉलर 14 साल की ऊंचाई पर
- अमेरिकी डॉलर 14 साल की ऊंचाई पर है।
- इस महीने के दौरान रुपए में करीब 3.75 फीसदी की कमजोरी आ चुकी है।
- एक्सपर्ट्स कहते है कि ट्रंप सरकार आने वाले दिनों में चुनावी वादों के मुताबिक टैक्स में कटौती के साथ-साथ सरकारी खर्च में कटौती करने का फरमान दे सकती है।
- इन दोनों कटौती के असर से डॉलर मजबूत होने की उम्मीद पर बीते दो दिनों से मुद्रा बाजार में डॉलर सबकी पसंद बना हुआ है।
लिहाजा अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मांग तेज है।