नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश में वनस्पति तेल आयात को काबू करने के लिए जो उपाय किए थे वह सभी असफल होते नजर आ रहे हैं। तमाम उपायों के बावजूद वनस्पति तेल आयात घटने के बजाय बढ़ रहा है। अप्रैल के दौरान देश में वनस्पति तेल आयात 7 महीने के ऊपरी स्तर तक पहुंच गया है। सरकार ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए वनस्पति तेल आयात कम करने के लिए तेल और तिलहन पर भारी आयात शुल्क लगाया था। लेकिन सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद तेल आयात लगातार बढ़ रहा है।
देश में वनस्पति तेल उद्योग के संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के मुताबिक अप्रैल के दौरान देश में कुल 1386466 टन वनस्पति तेल आयात हुआ है जो सितंबर 2017 के बाद सबसे अधिक मासिक आयात है। कुल आयात में 1368616 टन खाद्य तेल है और बाकी गैर खाद्य।
पहली मार्च से देश में आयात होने वाले अधिकतर वनस्पति तेलों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया गया है, इसके अलावा आयात पर अतीरिक्त 10 प्रतिशत सामाजिक कल्याण सेस भी लागू है। इस लिहाज से पहली मार्च से रिफाइंड पाम ऑयल और पामोलीन ऑयल पर 59.4 प्रतिशत, क्रूड पाम ऑयल पर 48.4 प्रतिशत, क्रूड सोयाबीन तेल और बिनौला तेल पर 33 प्रतिशत, क्रूड सरसों और सूरजमुखी तेल पर 27.5 प्रतिशत और रिफाइंड सोयाबीन-सरसों-सूरजमुखी-बिनौला तेल पर 38.5 प्रतिशत शुल्क लागू है।
लेकिन इतना ज्यादा आयात शुल्क लागू होने के बावजूद खाने के तेल के आयात में जोरदार बढ़ोतरी हो रही है। खासकर सूरजमुखी तेल आयात में भारी उछाल आया है। SEA के मुताबिक अप्रैल में सूरजमुखी तेल आयात 294450 टन दर्ज किया गया है जो अबतक का सबसे अधिक मासिक आयात है। SEA का कहना है कि जबतक सरकार क्रूड और रिफाइंड वनस्पति तेलों के आयात शुल्क में कम से कम 20 प्रतिशत का अंतर नहीं बढ़ाएगी तबतक आयात बढ़ाने का फायदा नहीं होगा।