नई दिल्ली। वेदांता लिमिटेड को शेयर बाजार से डिलिस्ट कराने का प्रस्ताव फेल हो गया है। कंपनी को डिलिस्टिंग के लिए जरूरी शेयरों के लिए बिड नहीं मिली थी। अरबपति अनिल अग्रवाल की वेदांता रिसोर्सेज ने आज ये जानकारी दी है। कंपनी ने इस बारे में शेयर बाजार को भेजी गई एक जानकारी में कहा है कि उसे डिलिस्टिंग प्रस्ताव में 125 करोड़ शेयर के लिए बिड मिली थी। ये संख्या जरूरी संख्या से कम है, इसलिए डिलिस्टिंग ऑफर फेल हो गया है। कंपनी के मुताबिक क्योंकि वो कोई भी शेयर नहीं ले रही है इसलिए वो बाजार में लिस्ट रहेगी। कंपनी ने साफ कहा कि डिलिस्टिंग प्रस्ताव में पेश हुए सभी शेयरों को शेयर धारकों को वापस कर दिया जाएगा।
क्यों फेल हुई डिलिस्टिंग
नियमों के मुताबिक कंपनी को डिलिस्ट कराने के लिए प्रमोटर्स की होल्डिंग 90 फीसदी से ज्यादा होनी जरूरी है। जिसके लिए प्रस्ताव में 134 करोड़ से ज्यादा शेयर मिलने जरूरी थे। हालांकि प्रस्ताव में शेयर धारकों के द्वारा ऑफर किए गए शेयर की संख्या इससे कम यानि 125 करोड़ रही, जिसकी वजह से डिलिस्टिंग ऑफर फेल हो गया। सूत्रों की माने तो कंपनी ने ऑफर को लेकर सेबी से एक दिन और मांगा था हालांकि सेबी ने वक्त बढ़ाने से मना कर दिया, जिसके बाद कंपनी ने आज डिलिस्टिंग ऑफर फेल होने की जानकारी दी। मई के महीने में वेदांता के प्रमोटर्स ने 87.5 रुपये प्रति शेयर पर डिलिस्टिंग ऑफर का ऐलान किया था। जून में इसे शेयर धारकों की अनुमति मिल गई थी। पिछले 2 सालों में वेदांता तीसरी कंपनी है जिसकी डिलिस्टिंग फेल हो गई।
कम कीमत की वजह से निवेशक ऑफर से दूर
डिलिस्ट का ऑफर जब दिया गया था तब भी प्रस्तावित 87.5 रुपये की कीमत उस वक्त के मौजूदा बाजार भाव से 37 फीसदी कम थी। ऐसे में निवेशकों को इस कीमत पर भारी घाटा हो रहा था। इस वजह से डिलिस्ट को निवेशकों का समर्थन नहीं मिला। एलआईसी ने प्रस्ताव के लिए 320 रुपये प्रति शेयर पर 24 करोड़ शेयर के लिए बिड लगाई थी। ऊंची बिड मिलने और सीमा से कम शेयर ऑफर होने से डिलिस्टिंग फेल हो गई।