मुंबई। बैंक, वित्त, दूरसंचार और आईटी शेयरों में जोरदार लिवाली के बीच गुरुवार को बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 400 अंक के उछाल के साथ 38,545.72 अंक पर पहुंच गया। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 11,500 अंक के स्तर के पार निकल गया। मार्च श्रृंखला के वायदा एवं विकल्प अनुबंधों की समाप्ति की वजह से जबर्दस्त शॉर्ट कवरिंग के चलते निवेशकों की धारणा को बल मिला।
ब्रोकरों ने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा अगले सप्ताह मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती किए जाने की उम्मीद है। इस वजह से बैंकिंग, रीयल्टी और वाहन कंपनियों के शेयरों में उछाल आया। बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 38,208.30 अंक पर सकारात्मक रुख से खुलने के बाद पूरे दिन लाभ में रहा। अंत में यह 412.84 अंक या 1.08 प्रतिशत की बढ़त के साथ 38,545.72 अंक पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 124.95 अंक या 1.09 प्रतिशत की बढ़त के साथ 11,500 अंक के स्तर को पार कर 11,570 अंक पर बंद हुआ।
सेंसेक्स की कंपनियों में एचसीएल टेक, एसबीआई, आईटीसी, भारती एयरटेल, सनफार्मा, यस बैंक, एक्सिस बैंक, टीसीएस, एशियन पेंट्स, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज फाइनेंस और इन्फोसिस के शेयर 3.84 प्रतिशत तक चढ़ गए। वहीं दूसरी ओर टाटा स्टील, ओएनजीसी, बजाज ऑटो, पावरग्रिड, महिंद्रा एंड महिंद्रा और हीरो मोटोकॉर्प के शेयर 1.73 प्रतिशत तक नुकसान में रहे।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि वायदा एवं विकल्प खंड के निपटान तथा बैंक और आईटी कंपनियों के समर्थन से बाजार में तेजी आई। इसके अलावा रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना तथा बैंकों के पुनर्पूंजीकरण से भी बाजार में तेजी आई। इस बीच, शेयर बाजारों के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार बुधवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 1,481.11 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे। वहीं घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 134.92 करोड़ रुपए की लिवाली की।
इस बीच, अंतर बैंक विदेशी विनियम बाजार में दिन में कारोबार के दौरान रुपया 11 पैसे टूटकर 68.99 प्रति डॉलर पर आ गया। अन्य एशियाई बाजारों में हांगकांग का हैंग सेंग 0.16 प्रतिशत चढ़ गया। जापान के निक्की में 1.61 प्रतिशत, शंघाई कम्पोजिट में 0.92 प्रतिशत तथा दक्षिण कोरिया के कॉस्पी में 0.82 प्रतिशत की गिरावट आई। शुरुआती कारोबार में यूरोपीय बाजार लाभ में चल रहे थे। ब्रेंट कच्चा तेल वायदा 0.37 प्रतिशत के नुकसान से 67.58 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।