मुंबई। शेयर बाजार में गुरुवार को जोरदार गिरावट आई और बीएसई सेंसेक्स ने 554 अंक का गोता लगाया। बैंक, ऊर्जा तथा पूंजीगत सामान से जुड़ी कंपनियों के शेयरों की अगुवाई में यह गिरावट आई। आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए रिजर्व बैंक के नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है। केंद्रीय बैंक ने इस साल लगातार तीसरी बार रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कमी की है। साथ ही मौद्रिक नीति रुख को तटस्थ से नरम कर दिया है।
हालांकि रिजर्व बैंक ने घरेलू गतिविधियों में नरमी तथा वैश्विक व्यापार बढ़ने के कारण आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया। इस घोषणा के बाद 30 शेयरों वाला सूचकांक 553.82 अंक अर्थात 1.38 प्रतिशत लुढ़ककर 39,529.72 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह नीचे में 39,481.15 तथा ऊंचे में 40,159.26 अंक तक गया। इसी प्रकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 177.90 अंक यानी 1.48 प्रतिशत टूटकर 11,843.75 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह नीचे में 11,830.25 तथा ऊंचे में 12,039.80 अंक तक गया था।
सेंसेक्स में शामिल जिन शेयरों में गिरावट दर्ज की गई, उसमें इंडसइंड बैंक, यस बैंक, एसबीआई, एलएंडटी, टाटा स्टील, महिंद्रा एंड महिंद्रा, बजाज फाइनेंस, वेदांता, टाटा मोटर्स और आरआईएल शामिल हैं। इनमें 6.97 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई। वहीं दूसरी तरफ कोल इंडिया, पावर ग्रिड, एनटीपीसी, एचयूएल, हीरो मोटो कॉर्प, एशियन पेंट्स और इंफोसिस में 1.92 प्रतिशत तक की तेजी आई।
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टाक ब्रोकर्स में निवेश सेवा मामलों के शोध प्रमुख नरेंद्र सोलंकी ने कहा कि नीतिगत दर में कटौती का सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा। इसका कारण अब आईएलएंडएफएस, डीएचएफएसल जैसे मुद्दों और उसका अन्य वित्तीय संस्थानों पर पड़ने वाले प्रभाव की आशंका की वजह से ध्यान नीतिगत दर की जगह नई उभरती अल्पकालीन नकदी की की तंग स्थिति की ओर गया है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान घटाए जाने तथा नकदी के मोर्चे पर केंद्रीय से कोई ठोस संकेत नहीं मिलने से बिकवाली दबाव देखा गया। इस बीच, एशिया के अन्य बाजारों में मिला-जुला रुख रहा जबकि यूरोप के प्रमुख बाजारों में शुरुआती कारोबार में तेजी दर्ज की गई।