नई दिल्ली। छोटे निवेशकों के हितों को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से बाजार नियामक सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा आईपीओ व अन्य माध्यमों से निवेश करने वाले असहमत निवेशकों को अपना पैसा वापस निकालने का विकल्प देने का प्रस्ताव किया है। इसके तहत अगर किसी निवेशक को लगता है कि कंपनी ने निर्गम के जरिये जनता से पैसे जुटाने के बाद तय लक्ष्यों में बदलाव किया है, तो वह कंपनी से अपना पैसा वापस मांग सकता है। यह प्रस्ताव आम निवेशकों से धन जुटाने के लिए आईपीओ, एफपीओ या पूंजी जुटाने की किसी अन्य प्रक्रिया का इस्तेमाल करने वाली सूचीबद्ध कंपनियों के लिए है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) की सोमवार को हुई बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसके तहत उद्देश्यों में बदलाव या विवरणिका में संदर्भित अनुबंध शर्तों में अंतर होने पर असहमत शेयरधारकों को निकासी का अवसर देने के संबंध में परामर्श प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह कदम कंपनी कानून 2013 में एक प्रावधान के बाद उठया गया है, जिसमें यह कहा गया है कि सेबी द्वारा उल्लेखित नियमों के तहत इस तरह का निकासी विकल्प दिया जाना चाहिए। इसी के तहत पूंजी बाजार नियामक ने उचित नियामकीय ढांचा बनाने का फैसला किया है।
शेयर बाजारों को सूचीबद्ध करने के लिए नए नियम
देश के प्रमुख शेयर बाजारों बीएसई और एनएसई सहित विभिन्न शेयर बाजारों के आईपीओ लाने और सूचीबद्ध होने का रास्ता खुल गया है। बाजार नियामक सेबी ने इस संबंध में आईपीओ और सूचीबद्धता के नए नियमों को आज मंजूरी दी है। नियमों को अंतिम रूप देते समय शेयरहोल्डिंग नियमों, उचित मानदंड और हितों के टकराव से जुड़े अन्य मुद्दों को ध्यान में रखते हुए जरूरी सुरक्षा उपाय और प्रक्रियाएं तय की गई हैं। शेयर बाजारों को सार्वजनिक शेयरधारक श्रेणी में 51 फीसदी शेयर होल्डिंग बनाए रखने के लिए कदम उठाने होंगे और इस बात का ध्यान रखना होगा कि कारोबारी सदस्यों, सहयोगी अथवा एजेंटों की होल्डिंग 49 फीसदी से अधिक न हो। डिपॉजिटरी को सूचीबद्ध करने के लिए भी इसी प्रकार के नियम लागू होंगे। प्रमुख शेयर बाजार बीएसई काफी लंबे समय से सूचीबद्ध होने के लिए प्रयासरत है लेकिन सेबी से मंजूरी नहीं मिलने की वजह से उसकी योजना अधर में लटकी पड़ी है। सेबी ने तीन साल पहले शेयर बाजारों की सूचीबद्धता के लिए नियमों की घोषणा की थी।
नए नियम कल से होंगे लागू, उल्लंघन पर लगेगा जुर्माना
बाजार नियामक सेबी के सूचीबद्धता नियमों को मंगलवार से ही लागू किया जाएगा और इन नियमों का पालन न करने वाली सूचीबद्ध कंपनियों को आर्थिक जुर्माना और शेयर कारोबार निलंबन जैसे कदमों का सामना करना पड़ सकता है। नए नियमों में शेयर मूल्यों से जुड़ी संवेदनशील सूचनाओं का उचित और सही समय पर खुलासा करना भी शामिल है। सेबी के सूचीबद्धता से जुड़े नए नियमन एक दिसंबर 2015 से अमल में आ जाएंगे।