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किसी को स्मॉल कैप में निवेश के लिए बाध्य नहीं किया जा रहा: सेबी

सेबी के नए नियमों के मुताबिक मल्टीकैप फंड को निवेश का कम से कम 25% हिस्सा स्मॉलकैप में रखना होगा। हालांकि बाद में सेबी ने साफ किया कि फंड अपनी योजनाओं का उसके पोर्टफोलियो से मिलती जुलती दूसरी योजनाओं में मर्जर कर सकते हैं।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: September 22, 2020 15:30 IST
मल्टीकैप स्कीम पर नये...- India TV Paisa
Photo:PTI (FILE)

मल्टीकैप स्कीम पर नये नियम

नई दिल्ली। मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड योजनाओं के लिए नए पोर्टफोलियो नियमों के बीच सेबी प्रमुख अजय त्यागी ने मंगलवार को कहा कि बाजार नियामक किसी को भी स्मॉल कैप में निवेश करने के लिए मजबूर नहीं कर रहा है और निवेश हमेशा निवेशकों के हित में होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड योजनाओं को अपने नाम के अनुरूप होना चाहिए, यानी निवेशकों को योजना के तहत किए जा रहे निवेश की सही जानकारी होनी चाहिए। नियामक ने इस महीने की शुरुआत में मल्टी कैप फंडों को निर्देश दिया था कि वे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप शेयरों में से प्रत्येक में कम से कम 25 प्रतिशत निवेश करें। इस फैसले से म्यूचुअल फंड उद्योग और फंड प्रबंधकों की चिंता बढ़ गई है। अनुमान है कि इस फैसले से लार्जकैप शेयरों से मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों के शेयरों को 30,000-40,000 करोड़ रुपये मिलेंगे। इससे पहले निवेश की सीमा को लेकर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं था। त्यागी ने कहा, ‘‘मल्टी कैप फंड नाम के अनुसार होने चाहिए। हम किसी को इन कैप (स्माल कैप, मिड कैप) में निवेश करने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं और निवेश निवेशकों के हित में होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड योजनाओं के अनुचित वर्गीकरण से भ्रम और गलत बिक्री होगी। उन्होंने आगे कहा कि सेबी को मल्टी-कैप योजनाओं के बारे में एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) से कुछ सुझाव मिले हैं और नियामक उन पर विचार करेगा। त्यागी ने कहा कि म्यूचुअल फंड को यह याद रखना चाहिए कि निवेश और उधार देने में अंतर है। उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड बैंक नहीं हैं और उन्हें उनकी तरह बर्ताव करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए तथा निवेशकों के हितों की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘डेट म्यूचुअल फंड बैंक नहीं है और उन्हें उनकी तरह बर्ताव नहीं करना चाहिए।’’ बाजार के बारे में त्यागी ने कहा कि बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है, हालांकि आरबीआई और सेबी के कदमों से अस्थिरता को कम करने में मदद मिली है।

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