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सरसों तेल सस्ता करने के लिए SEBI ने उठाया कदम, NCDEX को नए अनुबंध जारी करने से रोका

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) के लिए नवीनतम निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: October 08, 2021 14:27 IST
सरसों की कीमतों पर...- India TV Paisa
Photo:ALIBABA

सरसों की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए SEBI ने उठाया कदम, NCDEX को नए अनुबंध जारी करने से रोका 

नयी दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सरसों तेल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने की कोशिशों के बीच शुक्रवार को जिंस एक्सचेंज एनसीडीईएक्स को अगले आदेश तक सरसों के बीज के नए अनुबंध जारी करने से रोक दिया। नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडेक्स) के लिए नये निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। सेबी ने एक विज्ञप्ति में कहा कि इस समय चल रहे अनुबंधों के संबंध में, कोई नयी स्थिति अपनाने की मंजूरी नहीं दी जाएगी। उसने कहा, "अगले आदेश तक सरसों के बीज का कोई नया अनुबंध जारी नहीं किया जाएगा।" 

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) के लिए नवीनतम निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। चल रहे अनुबंधों के संबंध में, कोई नई पोजिशन लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सेबी ने एक विज्ञप्ति में कहा कि केवल पोजीशन के चुकौती की अनुमति होगी। अगले आदेश तक कोई नया सरसों बीज कॉन्ट्रेक्ट शुरू नहीं किया जाएगा।

खाद्य तेल उद्योग निकाय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा कि सेबी ने सरसों के तेल की कीमतों में और वृद्धि को रोकने के लिए यह निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि अधिकांश सरसों के स्टॉक की पेराई हो गई है और इसके परिणामस्वरूप कीमतों पर दबाव है।

सरसों के बीज की आपूर्ति में कमी ने सरसों तेल के थोक और खुदरा कीमतों पर दबाव डाला है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सरसों के तेल (पैक) का औसत खुदरा मूल्य इस साल 7 अक्टूबर को बढ़कर 183.50 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया, जो 8 अक्टूबर, 2020 को 128.50 रुपये प्रति किलोग्राम था।

उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में 85 लाख टन के कुल अनुमानित सरसों के उत्पादन के मुकाबले, मिलों ने लगभग 70 लाख टन की पेराई की है और किसानों के पास 14-15 लाख टन का स्टॉक बचा है। सरसों एक रबी (सर्दियों) की फसल है, और ताजा आगमन केवल फरवरी में होने की उम्मीद है। वर्तमान में अपेक्षाकृत अधिक तापमान के कारण उत्तर भारत में सरसों की बुवाई अभी शुरू नहीं हुई है।

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