नई दिल्ली। अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपया बृहस्पतिवार को 86 पैसे या 1.16 प्रतिशत की बड़ी गिरावट के साथ प्रति डालर 75.12 के रिकॉर्ड निचले स्तर आ गया। रुपये में ये गिरावट कोराना वायरस के चलते विश्वस्तर पर उथल पुथल और आर्थिक मंदी के गंभीर खतरे की वजह से देखने को मिली है। अन्य प्रमुख विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डालर की मजबूती तथा कच्चे तेल के बार में उछाल से रुपये पर दबाव था। इस महीने डालर के मुकाबले रुपया करीब चार प्रतिशत कमजोर हो चुका है। विदेशी निवेशक घरेलू बाजार से मार्च में करीब एक लाख करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। व्यापारियों का कहना है कि कोराना विषाणु से फैली वैश्विक महामारी के चलते घरेलू और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लगातार गहरे संकट में घिरने से निवेशकों की चिंता बढ़ती जा रही है। इस महामारी से अब तक दुनिया में 9000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
अंतर बैंक विदेशी विनिमय बाजार में शुरुआती कारोबार के दौरान अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपया पिछले बंद स्तर से गिर कर 74.96 पर खुला। जल्दी ही डालर 75 से चला गया और एक समय स्थानीय मुद्रा का पलड़ा हल्का होकर 75.30 रुपये प्रति डालर तक चला गया था। रुपया अंत में 86 पैसे टूट कर 75.12 प्रति डालर के अभूतपूर्व न्यूनतम स्तर पर बंद हुआ। गत वर्ष तीन सितंबर के बाद रुपये की यह सबसे बड़ी गिरावट है। एचडीएफसी सिक्यूरिटीज के पूंजी बाजार के प्रमुख वी के शर्मा ने कहा कि रुपया गिर कर अपने नए रिकार्ड न्यूनतम स्तर पर चला गया है। विदेशी निवेश कोष घरलू शेयर और बांड बाजार से जिस तरह पूंजी निकाल रहे हैं यह गिरावट उसके चलते है। कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ने के साथ साथ जोखिम वाली सम्पत्तियों के मूल्यों में विश्वस्तार पर भारी गिरावट से चिंता बढ़ रही है।