नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि 2020-21 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में आठ प्रतिशत की गिरावट के अनुमान के बावजूद घरेलू शेयर बाजारों में जोरदार बढ़त से ‘बुलबुले का जोखिम’ पैदा हो गया है। रिजर्व बैंक की बृहस्पतिवार को जारी 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में शेयर के दाम रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गए हैं। बेंचमार्क सूचकांक 21 जनवरी, 2021 को 50,000 अंक के स्तर को पार करता हुआ 15 फरवरी को 52,154 अंक की ऊंचाई पर पहुंच गया। बाजार सूचकांक का यह स्तर देश में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन (23 मार्च, 2020) के दौरान आई गिरावट की तुलना में 100.7 प्रतिशत ऊंचा है। वहीं 2020-21 में सेंसेक्स में करीब 68 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
तेजी पर क्या है RBI की राय
रिजर्व बैंक ने कहा है, ‘‘वर्ष 2020- 21 में जीडीपी में आठ प्रतिशत की गिरावट के अनुमान को देखते हुये संपत्ति मूल्य की मुद्रास्फीति की यह स्थिति बुलबुला फूटने का जोखिम पैदा करती है।’’ शीर्ष बेंक ने कहा कि शेयर बाजार मुख्य तौर पर मुद्रा प्रसार और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) निवेश से चलते हैं। इसके साथ ही आर्थिक संभावनायें भी शेयर बाजार की चाल में योगदान करती हैं लेकिन इनका असर मुद्रा आपूर्ति और एफपीआई के मुकाबले कम दिखता है। केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि 2016 से लेकर 2020 तक शेयर मूल्यों में वृद्धि की मुख्य वजह ब्याज दरों और इक्विटी जोखिम प्रीमियम में कमी रही है। इसके साथ ही भविष्य में कमाई की उम्मीद का भी इसमें काफी हद तक योगदान रहा है।
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