नई दिल्ली। भारतीय पूंजी बाजार में भागीदारी पत्र या पर्टिसिपेटरी नोट्स (P-notes investments) के जरिये निवेश नवंबर में 27 महीने के उच्चतम स्तर 83,114 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। दूसरी तिमाही में कॉरपोरेट आय में सुधार और नकदी की स्थिति बेहतर होने के चलते पी-नोट्स से निवेश बढ़ा है। पी-नोट्स पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं, जो भारतीय शेयर बाजार में सीधे पंजीकृत हुए बिना उसका हिस्सा बनना चाहते हैं। हालांकि, इसके लिए उन्हें एक तय प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Sebi) के आंकड़ों के अनुसार भारतीय बाजारों में पी-नोट्स निवेश, जिसमें इक्विटी, ऋण और हाइब्रिड प्रतिभूति शामिल हैं, नवंबर के अंत में बढ़कर 83,114 करोड़ रुपये हो गया। यह आंकड़ा अक्टूबर के अंत में 78,686 करोड़ रुपये था। गौरतलब है कि अगस्त 2018 के बाद यह निवेश का उच्चतम स्तर है, जब इस रूट से कुल 84,647 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था। सितंबर 2020 के अंत में पी-नोट्स के जरिए निवेश घटकर 69,821 करोड़ रुपये रह गया था।
अगस्त, जुलाई, जून, मई और अप्रैल में पी-नोट्स के जरिये निवेश क्रमश: 74,027 करोड़, 63,228 करोड़, 62,138 करोड़, 60,027 करोड़ और 57,100 करोड़ रुपये का हुआ था। कोरोना वायरस के दुनियाभर में फैलने की वजह से वैश्विक बाजारों में आई भारी गिरावट के कारण मार्च में पी-नोट्स निवेश 15 साल के सबसे निचले स्तर पर 48,006 करोड़ रुपये रह गया था।
नवंबर में पी-नोट्स के जरिये हुआ 83,114 करोड़ रुपये के निवेश में से 72,910 करोड़ रुपये इक्विटी में, 10,009 करोड़ रुपये डेट और 196 करोड़ रुपये का निवेश हाइब्रिड सिक्यूरिटीज में किया गया है। इसके अलावा एफपीआई के तहत संपत्ति भी बढ़कर 38.51 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो इतिहास में अबतक का सबसे उच्चतम स्तर है। अक्टूबर अंत में इसका आंकड़ा 34.36 लाख करोड़ रुपये था।