नई दिल्ली। घरेलू पूंजी बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट यानि पी- नोट्स के जरिये निवेश दिसंबर 2020 के अंत में 87,132 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। यह पिछले 31 माह का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इससे देश में निवेश को लेकर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के रुख का पता चलता है। पी- नोट भारत में पंजीकृत एफपीआई द्वारा जारी किये जाते हैं। एफपीआई ये नोट ऐसे विदेशी निवेशकों को जारी करते हैं जो कि भारतीय बाजारों में खुद पंजीकृत हुये बिना निवेश करना चाहते हैं। हालांकि पी- नोट के जरिये निवेश करने से पहले उन्हें जांच पड़ताल की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
सेबी के आंकड़ों के मुताबिक भारतीय बाजारों में पी- नोट का मूल्य दिसंबर अंत में बढ़कर 87,132 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इससे पहले नवंबर अंत में यह मूल्य 83,114 करोड़ रुपये पर था। इसके जरिए शेयर, बॉन्ड्स और अन्य हाइब्रिड सिक्योरिटीज प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है। आंकड़ों के मुताबिक पी- नोट के जरिये किया गया यह निवेश मई 2018 के बाद सबसे ऊंचा है जब निवेश का आंकड़ा 93,497 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। कोरोना वायरस महामारी फैलने के समय मार्च में यह निवेश 15 साल के निचले स्तर यानि 48,006 करोड़ रुपये तक गिर गया था। उस समय वैश्विक बाजारों में काफी उठापटक चल रही थी। उसके बाद इस रुट से निवेश धीरे धीरे बढ़ना शुरू हुआ और अप्रैल में 57,100 करोड़ रुपये, मई में 60,027 करोड़ रुपये, जून में 62,138 करोड़ रुपये, जुलाई में 63,228 करोड़ रुपये और अगस्त में 74,027 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। सितंबर 2020 में यह घटकर 69,820 करोड़ रुपये रह गया लेकिन अक्टूबर में फिर बढ़कर 78,686 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। दिसंबर अंत तक निवेश की गई 87,132 करोड़ रुपये की राशि में से 78,870 करोड़ रुपये शेयरों में निवेश किये गये हैं जबकि 7,562 करोड़ रुपये बॉन्ड्स में और 700 करोड़ रुपये हाईब्रिड सिक्योरिटीज में निवेश किये गये हैं।