नई दिल्ली। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का रुख जारी है। गुरुवार के कारोबार में भी कीमतों में गिरावट देखने को मिली है, ये लगातार 5वां सत्र रहा है जब कच्चे तेल की कीमतों में नरमी देखने को मिली है। कीमतों में गिरावट कोरोनावायरस के असर का दायरा बढ़ने की आशंका के बाद दर्ज हुई है।
14 महीने के निचले स्तर पर क्रूड
कारोबार के दौरान वायदा बाजार में ब्रेंट क्रूड 1 फीसदी से ज्यादा की गिरावट के साथ 52.53 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक आ गया है। कीमतों का ये स्तर 2 जनवरी 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है। वहीं डब्लूटीआई क्रूड गिरावट के साथ 47.82 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक गिरा, जो कि 4 जनवरी 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है। पिछले 5 सत्रों में कच्चा तेल 10 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है।
क्यों आई कीमतों में गिरावट
गुरुवार को पहली बार ऐसा हुआ है जब चीन में मिले संक्रमित मामलों की संख्या से ज्यादा मामले चीन से बाहर दूसरे देशों में मिले हैं। इससे कोरोनावायरस के असर को लेकर अनिश्चितता बन गई है। ये नए मामले साउथ कोरिया, जापान, इटली से मिले हैं। इसके साथ ही अमेरिका में एक ऐसा शख्स भी कोरोनावायरस से संक्रमित हुआ है जिसने हाल फिलहाल कोई विदेश यात्रा नहीं की थी। ऐसे में अमेरिका में वायरस को लेकर नई चिंताएं सामने आ गई। जानकारों का अनुमान है कि चीन के बाद अगर अमेरिका में वायरस का असर फैलता है तो दुनिया भर का कारोबार ठप पड़ सकता है।
घरेलू अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा मिलने की पूरी उम्मीद है। फिलहाल सरकार आय बढ़ाने की कोशिशों में जुटी हुई है। ऐसे में कच्चे तेल की बिल घटने से सरकारी खजाने पर बोझ घटेगा। वहीं दूसरी तरफ कच्चे तेल में गिरावट आने से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और गिरावट की संभावना बन गई है जिससे आम लोगों को फायदा होगा। सस्ते डीजल से सड़क के रास्ते माल भाड़े की लागत घटने से महंगाई को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी। हालांकि कोरोनावायरस का असर बढ़ने से घरेलू अर्थव्यवस्था के कई अन्य सेक्टर पर नुकसान की आशंका है।