कोरोना संकट के बाद से भारतीय शेयर बाजार को लेकर आम निवेशकों के बीच आकर्षण तेजी से बढ़ रहा है। देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज NSE(नेशनल स्टॉक एक्सचेंज)ने 5 करोड़ रजिस्टर्ड निवेशकों का आंकड़ा पार कर लिया है। वहीं बीएसई से जुड़े 8 करोड़ निवेशकों को जोड़ लिया जाए तो देश में कुल निवेशकों की संख्या 13 करोड़ के पार पहुंच चुकी है।
यह बताता है कि एफडी और पोस्ट आफिस में परंपरागत रूप से निवेश करते आ रहे भारतीय निवेशक अब शेयर बाजार की ओर मुड़ रहे हैं। बाजार में आई हालिया तेजी के पीछे प्रमुख कारण निवेशकों की इस बढ़ती संख्या को माना जा रहा है। हर दिन नए रिकॉर्ड बना रहा शेयर बाजार तेजी से नए निवेशकों को मार्केट में पैसा लगाने को लेकर आकर्षित कर रहा है।
चौंका रही है निवेशकों की बढ़ती संख्या
गौरतलब यह है कि NSE ने 4 से 5 करोड़ का स्तर छूने में मात्र 7 महीने का वक्त लिया है। वहीं 3 से 4 करोड़ पहुंचने में बाजार को 15 महीने का वक्त लगा था। NSE के एमडी एवं सीईओ विक्रम लिमय ने कहा कि उम्मीद है कि अगले 3 से 4 साल में NSE 10 करोड़ का आंकड़ा पार कर ले।
गुजरात को पीछे छोड़ यूपी बना नंबर 2
उत्तर प्रदेश के निवेशकों को आम तौर पर परंपरागत निवेश माना जाता है। लेकिन कोरोना संकट ने इस नजरिए को पूरी तरह से बदल दिया है। नए निवेशकों के मामले में उत्तर प्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य बन गया है। देश के कुल नए निवेशकों में 10 प्रतिशत उत्तर प्रदेश से ही आए हैं। जबकि नए निवेशकों के मामले में गुजरात 7 प्रतिशत के साथ तीसरे नंबर पर है। 17 प्रतिशत नए निवेशकों के साथ महाराष्ट्र पहले नंबर पर है।
उत्तरी राज्यों से आए सबसे ज्यादा नए निवेशक
ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में नए निवेशकों के मामले में उत्तरी राज्यों का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है। नए निवेशकों में 36 प्रतिशत निवेशक उत्तरी राज्यों से आए हैं। इसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा है। दूसरी ओर नए निवेशकों के मामले में पश्चिमी राज्यों की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत रही है। पूर्वी राज्यों से 13 प्रतिशत और दक्षिणी राज्यों से 10 प्रतिशत नए निवेशकों ने शेयर बाजार में निवेश शुरू किया है।
छोटे शहरों में दिखी जबर्दस्त ग्रोथ
शेयर बाजार में निवेशकों की शानदार ग्रोथ में गैर मेट्रो और छोटे शहरों का योगदान सबसे अधिक रहा हैै। नए निवेशकों की बात करें तो 57 प्रतिशत नए निवेशक टॉप 50 से छोटे शहरों से आते हैं। वहीं टॉप 100 से छोटे शहरों की हिस्सेदारी 43 फीसदी से अधिक है।
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