नई दिल्ली। शेयर बाजार की दिशा इस सप्ताह रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा, पहली तिमाही के जीडीपी और पीएमआई जैसे अहम आर्थिक आंकड़े से तय होगी। वहीं बाजार के जानकारों की मुताबिक कोविड-19 को लेकर आगे की स्थिति और विदेशी बाजारों से मिलने वाले संकेत भी बाजार पर असर डालेंगे। जानकारों के मुताबिक कोरोना मामलों में नरमी और लॉकडाउन की शर्तों में ढील की उम्मीद बाजार के लिये सकारात्मक होगी।
क्या है एक्सपर्ट्स की राय
रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष (अनुसंधान) अजीत मिश्रा ने कहा, ‘‘इस सप्ताह नये माह की शुरूआत के साथ कई प्रमुख आंकड़े जारी होंगे। वृहत आर्थिक मोर्चे पर, पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़े, बुनियादी ढांचा क्षेत्र, विनिर्माण और सेवा के मार्किट पीएमआई आंकड़े इस सप्ताह जारी होने वाले हैं।’’ उन्होंने कहा कि एक जून को वाहनों के बिक्री के आंकड़े जारी होंगे। ‘‘सबसे महत्वपूर्ण घटना क्रम मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक होने जा रही है जो इस सप्ताह ही होगी। इन सबके परिणाम का असर बाजार पर दिखेगा।’’
क्या होगा कोविड मामलों का असर
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘कोविड-19 मामलों में कमी के साथ इसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ में ढील दिये जाने की संभावना है। इससे आर्थिक पुनरूद्धार को गति मिलेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 की दूसरी लहर के संक्रमण में कमी, अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे खोले जाने की उम्मीद का बाजार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और यह पिछली ऊंचाई से ऊपर निकल सकता है।’’
रिजर्व बैंक पॉलिसी समीक्षा पर नजर
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) शुक्रवार को मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करेगा। इस पर निवेशकों की नजर होगी। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘‘बाजार में सकारात्मक रुख की स्थिति बनी हुई है। इसका कारण कोविड-19 के मामलों में लगातार कमी और निवेशक जून में अर्थव्यवस्था को फिर से खोले जाने को लेकर उत्साहित हैं। इससे वाणिज्यिक गतिविधियों को गति मिलेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस सप्ताह आरबीआई की एमपीसी के निर्णय पर नजर होगी।’’
और किन बातों पर रहेगी बाजार की नजर
रिलायंस सिक्योरिटीज के रणनीति प्रमुख विनोद मोदी ने कहा, ‘‘आने वाले समय में राज्यों के स्तर पर लगाये गये ‘लॉकडाउन’ में ढील दिये जाने की उम्मीद है। इससे आर्थिक गतिविधियों में पुनरूद्धार में तेजी आने की संभावना है। फलत: बाजार को अल्पकाल से मध्यम अवधि में गति मिल सकती है।’’ इन सबके अलावा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में उतार-चढ़ाव, ब्रेंट क्रूड के भाव तथा विदेशी संथागत निवेशकों के निवेश रुख भी बाजार को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
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