नई दिल्ली। सरकार देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के स्वतंत्र बीमांकिक मूल्यांकन (Independent Actuarial Valuation) को देखना चाह रही है। ऐसे में एलआईसी का प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) अगले वित्त वर्ष में खिसक सकता है। निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दिपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि एलआईसी के आईपीओ से पहले का कार्य चार चरणों में चल रहा है। ये चार चरण ‘अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये परामर्शदाताओं की नियुक्ति, विधायी संशोधन, आंतरिक संपत्ति पर आधारित मूल्यांकन बताने के लिये एलआईसी के सॉफ्टवेयर में बदलाव तथा एलआईसी के बीमांकिक मूल्यांकन की गणना के लिये बीमांकक की नियुक्ति’ हैं। बिक्री की तैयारी करने के लिये सरकार की योजना उस अधिनियम को संशोधित करने की है, जिसके तहत एलआईसी की स्थापना हुई थी।
अगले साल 31 मार्च को समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष में रिकॉर्ड 2.1 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य पाने के लिये एलआईसी में हिस्सेदारी की बिक्री महत्वपूर्ण है। पांडेय ने कहा कि इन चारों चरणों के पूरा हो जाने के बाद ही इस बात पर निर्णय लिया जा सकेगा कि एलआईसी में सरकार कितनी हिस्सेदारी बेचेगी। पांडेय ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘इसके बाद आईपीओ के बारे में निर्णय होगा और यह तय होगा कि आईपीओ कितना बड़ा होगा। ये सब तभी होगा, जब चारों चरण पूरा हो जायेंगे और हम चालू वित्त वर्ष में इन्हें पूरा करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन यह आईपीओ एक बड़ा मुद्दा है और मुझे लगता है कि इसमें समय लगेगा।’’ उन्होंने बताया कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) कैप्स और डिलॉयट को आईपीओ से पूर्व का परामर्शदाता नियुक्त किया गया है। ये दोनों अनुपालन के मुद्दों की सूची बनाने के लिये एलआईसी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। सचिव ने कहा कि दूसरा हिस्सा विधायी संशोधन है। इसके लिये वित्तीय सेवा विभाग दिपम के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस संशोधन के जरिये एलआईसी अधिनियम में जरूरी बदलाव किये जायेंगे, जो आईपीओ लाने की राह बनायेंगे।