नई दिल्ली। पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानि सेबी ने प्रेफरेन्शल अलॉटमेंट के लिए मूल्य निर्धारण से संबंधित नियमों को नरम करने का फैसला किया है। सेबी के इस फैसले से कंपनियों के लिए धन जुटाना सुगम हो जाएगा। सेबी के निदेशक मंडल की बृहस्पतिवार हुई बैठक में कई फैसले लिए गए जिसमें से एक प्रेफरेन्शल अलॉटमेंट से जुड़ा है। बैठक के बाद सेबी ने कहा कि कंपनियां प्रेफरेन्शल शेयर इश्यू का मूल्य उनके शेयरों के दो सप्ताह के औसत मूल्य के हिसाब से तय कर सकेंगी। अभी इश्यू जारी करने वाली किसी भी कंपनी को साप्ताहिक आधार पर ऊंचे मूल्य के औसत तथा 26 सप्ताह के निचले मूल्य के औसत को देखना होता है। इस मूल्य फॉर्मूला के जरिये प्रेफरेन्शल आधार पर बांटी गई सिक्योरिटीज के लिए ‘लॉक्ड-इन’ की अवधि तीन साल की होगी। मूल्य का विकल्प एक जुलाई, 2020 से 31 दिसंबर, 2020 के बीच जारी प्रेफरेन्शल इश्यू के लिए उपलब्ध होगा।
इसके अलावा नियामक ने निपटान नियमों को भी तर्कसंगत बनाया है। इससे प्रक्रिया को अधिक तेज और प्रभावी बनाया जा सकेगा। इसके साथ ही सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों में संशोधन का भी फैसला किया है। नए नियमों के मुताबिक कीमतों पर असर डालने वाली ऐसी जानकारियां जो आम लोगों के बीच पब्लिश नहीं की गई हैं उनका रिकॉर्ड रखना होगा साथ ही ये भी दर्ज करना होगा की ये जानकारियां किस किस के साथ बांटी गई है। इस कदम से इनसाइडर ट्रेडिंग पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।