नई दिल्ली। अमेरिका में नये आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की उम्मीद के साथ-साथ प्रमुख वैश्विक आर्थिक आंकड़ों से दुनिया के बाजारों की चाल का असर इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजार पर भी रहेगा। बीते सप्ताह विदेशी बाजारों से मिले कमजोर संकेतों से सेंसेक्स और निफ्टी गिरावट के साथ बंद हुए और आगामी कारोबारी सप्ताह के दौरान भी भारतीय शेयर बाजार की चाल विदेशी संकेतों के साथ-साथ मानसून की प्रगति से तय होगी। हालांकि, सप्ताह के दौरान प्रमुख कंपनियों के जारी होने वाले वित्तीय नतीजों, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों के साथ-साथ कोरोना के प्रसार सहित अन्य घरेलू कारकों पर निवेशकों की नजर बनी रहेगी।
कोरोना के कहर से निपटने के लिए अमेरिका फिर प्रोत्साहन देने पर विचार कर रहा है, मगर इसमें हो रही विलंब के कारण निवेशक असमंजस की स्थिति में हैं। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के छोटे भाई और कारोबारी रॉबर्ट ट्रंप का शनिवार को निधन हो गया है। उधर, अमेरिका और चीन के बीच तनाव और कोरोना के कहर का साया लगातार वैश्विक बाजार पर बना हुआ है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक करार के पहले चरण की समीक्षा भी लंबित हो गई है और इसके लिए कोई नई तारीख की घोषणा नहीं हुई है। इसके अलावा, अमेरिका, जापान और यूरो एरिया में जारी होने वाले प्रमुख आर्थिक आंकड़ों का असर वैश्विक बाजार पर रहेगा। सप्ताह के आरंभ में सोमवार को जापान में औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े जारी होंगे। वहीं, सप्ताह के आखिर में शुक्रवार को अमेरिका और यूरोप में अगस्त महीने के विनिर्माण क्षेत्र के पीएमआई के आंकड़े जारी होंगे।
मानसून की चाल अगस्त में फिर सुधरी है और देशभर में खरीफ फसलों की अच्छी बुवाई हुई है जिससे बंपर पैदावार की उम्मीद की जा रही है। हालांकि, यह सब आगे मानसूनी बारिश की स्थिति पर निर्भर करेगा, इसलिए निवेशकों नजर मानसून की चाल पर भी रहेगी। सप्ताह के दौरान कई कंपनियां चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के अपने वित्तीय नतीजे जारी करने वाली हैं। उधर, सुप्रीम कोर्ट में टेलीकॉम कंपनियों से संबंधित एजीआर मामले में सोमवार को सुनवाई होने वाली है जिस पर बाजार की नजर रहेगी। तमाम घरेलू व वैश्विक कारकों साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें और डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल पर भी बाजार की निगाहें रहेंगी।
कोरोना के प्रसार पर भी निवेशकों की नजर बनी रहेगी, फिलहाल नए मामलों की संख्या लगातार 60 हजार से ऊपर बनी हुई है। वहीं रिकवरी रेट 72 फीसदी के करीब पहुंच गया है। निवेशकों की नजर कोरोना के प्रसार की रफ्तार और कारोबारी छूट की संभावनाओं पर है। कोई भी सकारात्मक संकेत बाजार के लिए बेहतर होगा। वहीं प्रसार में तेजी के संकेतों से दबाव बढ़ेगा।