नई दिल्ली। सरकार के उठाए कदमों के चलते सोने की मांग 13 साल के निचले स्तर पर आ गई है। प्रेसियस मेटल्स कंसल्टेंसी जीएफएसएस (GFMS) के अनुमान के मुताबिक 2016 में सोने की मांग 580 टन रही जो कि 2015 के मुकाबले 34 फीसदी कम है। वहीं, इतनी कम मांग 2003 के बाद पहली बार देखने को मिल रही है। इतना ही नहीं जीएफएसएस ने 2016 में सोने का आयात 498 टन रहने का अनुमान लगाया है। इससे सरकार को चालू खाता पर काबू पाने का मौका मिलेगा जिसका फायदा आपको भी मिलेगा।
सरकार के उठाए कदमों का दिखा असर
- रिपोर्ट में कहा कि 2016 को भारतीय गोल्ड और ज्वैलरी इंडस्ट्री के नीतियों में व्यापक बदलाव के लिए याद किया जएगा।
- सरकार ने इस दौरान सोने की मांग को कम करने के लिए कई अहम फैसले लिए जिसका दिखाई दे रहा है।
- हालांकि, वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) अपने अनुमान 650-750 टन पर कायम है।
- डब्ल्यूजीसी 2016 के लिए अपना अंतिम अनुमान अगले महीने जारी करेगा।
सोने का आयात 2003 के बाद सबसे कम
- जीएफएसएस के अनुमान के मुताबिक 2016 में सोने का आयात 498 टन रहेगा जो कि 2003 के बाद सबसे कम है।
- 2015 में हर महीने घरेलू खपत के लिए 60 टन के आसपास सोना आयात हुआ था।
- सर्वे में कहा गया कि पिछले साल फरवरी-सितंबर के दौरान 13 टन सोना हर महीने आयात हुआ।
- दूसरी ओर अक्टूबर-दिसंबर के दौरान 58 टन (मासिक औसत) सोना आयात हुआ।
डब्ल्यूजीसी इंडिया के प्रबंध निदेशक सोमसुंदरम पीआर ने कहा कि आयात शुल्क अधिक होने और सरकार के प्रतिबंधात्मक उपाय के कारण 2020 तक सोने का औसत आयात 850-950 टन सालाना रहने की संभावना है।
एक्साइज ड्यूटी का दिखा असर
- फरवरी 2016 में बजट के दौरान सरकार ने सोने की ज्वैलरी पर एक फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगाने का फैसला किया था।
- इसके कारण सोने की मांग में भारी कमी आई है।
- इसके विरोध में ज्वैलर्स ने 42 दिनों तक अपनी दुकानें नहीं खोली थी।