नई दिल्ली। दूसरे बाजारों की तुलना में भारतीय शेयर बाजारों का प्रदर्शन बेहतर रहेगा, लेकिन कुल मिलाकर रिटर्न सीमित रहेगा क्योंकि वैश्विक शेयर बाजारों का परिदृश्य इस दौरान कुछ नरम रहेगा। मॉर्गन स्टेनली रिसर्च की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की इस कंपनी के अनुसार वृद्धि में सुधार और तर्कसंगत बड़े पूंजीकरण के मूल्यांकन से बाजारों को प्रोत्साहन मिलेगा, लेकिन चुनावी साल, कच्चे तेल के बढ़ते दाम और बांड से ऊंची प्राप्ति बाजार की रफ्तार को रोक सकते हैं।
मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में बीएसई सेंसेक्स में पांच प्रतिशत वृद्धि हासिल हो सकती है। अगले वित्त वर्ष में यह 23 प्रतिशत और 2020-21 में 24 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आधारभूत मामले में (जिसकी 50 प्रतिशत संभावना है) मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक सेंसेक्स जून 2019 तक 36,000 अंक रहेगा। बाजार में यदि तेजी का रुख बनता है (जिसकी 30 प्रतिशत संभावना है) तो सेंसेक्स 44,000 अंक और मंदी की स्थिति बनने पर (जिसकी 20 प्रतिशत संभावना है) होने पर सेंसेक्स 26,500 अंक के स्तर तक नीचे आ सकता है। सेंसेक्स फिलहाल 35,600 अंक के इर्द-गिर्द चल रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें 2018 और 2019 में मजबूत आर्थिक वृद्धि की उम्मीद है। खपत, निर्यात और सरकारी खर्च तथा निजी क्षेत्र के पूंजी व्यय में शुरुआती तेजी के बल पर इस मजबूती की उम्मीद है। वर्ष 2018 में मौद्रिक नीति में भी सख्ती दिखाई देती है। जैसे जैसे 2019 में हम चुनाव की तरफ बढ़ेंगे बजट की तुलना में राजकोषीय घाटा ऊंचा रहने का जोखिम दिखाई देता है।