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India starts the process to register rice processing units to export rice to China
नई दिल्ली। दुनिया में चावल के सबसे बड़े उपभोक्ता देश चीन ने भारतीय से चावल आयात की तैयारी शुरू कर दी है। जल्द ही भारत सरकार और चीन के कस्टम विभाग (General Administration of Customs of People Republic of China) के बीच इसको लेकर प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर होंगे। वाणिज्य मंत्रालय की संस्था एपीडा की तरफ से यह जानकारी दी गई है।
दोनो देशों के बीच चावल निर्यात के लिए प्रोटोकॉल पर इसलिए हस्ताक्षर हो रहे हैं ताकि भारत से चीन को निर्यात होने वाले चावल की क्वॉलिटी चीन में निर्धारित क्वॉलिटी नियमों के मुताबिक हो सके। इस प्रोटोकॉल के तहत कुछ चुनिंदा चावल मिलों का ही चावल चीन को निर्यात होगा और उन चावल मिलों का भारत सरकार के कृषि मंत्रालय की संस्था वनस्पति संरक्षण संगरोध एवं संग्रह निदेशालय (DPPQ&S) से पंजीकृत होना जरूरी है। पंजीकृत मिलों का चीन के अधिकृत अधिकारी नरीक्षण करेंगे और नरीक्षण में सफल होने वाली मिलों को भारत से चीन चावल निर्यात की मंजूरी मिलेगी।
एपीडा ने देश की सभी चावल मिलों को इस सदर्भ में पहले ही सूचित किया हुआ है और कहा है कि जो चावल मिल अपना चावल चीन को निर्यात करना चाहती है वह वनस्पति संरक्षण संगरोध एवं संग्रह निदेशालय (DPPQ&S) में एक निश्चित अवधि के दौरान संपर्क कर सकती है, DPPQ&S भी चावल मिलों के पंजीकरण के लिए प्रक्रिया और दिशा निर्देश जल्द जारी करेगा।
चीन दुनियाभर में चावल का सबसे बड़ा उपभोक्ता और आयातक है, अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए चीन को सालभर में 50-60 लाख टन चावल का आयात करना पड़ता है और वह अपनी आयात की जरूरत दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों से पूरा करता है। दूसरी ओर भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है लेकिन भारत से सीधे तौर पर चीन को चावल निर्यात नहीं होता है, अब चीन क्योंकी सीधे तौर पर भारत से चावल का आयात करने जा रहा है तो भारतीय चावल उद्योग और चावल कंपनियों के लिए यह बड़ा मौका हो सकता है।