नई दिल्ली। वर्ष 2016 शेयर बाजार निवेशकों के लिए कुछ खास नहीं रहा। वैश्विक घटनाक्रम और नोटबंदी की वजह से यह ऐसा साल रहा जिससे शेयर बाजार से निवेशकों को कोई रिटर्न नहीं मिला। विश्लेषकों का मानना है कि कम से कम अगले छह महीने तक बाजार में सुधार की बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं दिखाई देती।
पूरे साल के दौरान कभी ऊपर तो कभी नीचे होने के बाद शेयर बाजार अंतत: लगभग पिछले साल के स्तर पर ही पहुंच गया। यह लगातार दूसरा साल है जब शेयर बाजार निवेशकों की उम्मीद पर खरा नहीं उतर पाया। पिछले वर्ष 2015 में तो बंबई शेयर बाजार सेंसेक्स ने निवेशकों को पांच प्रतिशत नुकसान में रखा, इस लिहाज से इस साल को कुछ बेहतर माना जा सकता है।
- वर्ष 2016 के पहले दिन यानी एक जनवरी को सेंसेक्स 26,307 अंक पर बंद हुआ था, वहीं 21 दिसंबर को सेंसेक्स 26,242 अंक पर बंद हुआ।
- इस लिहाज से देखा जाए, तो 2016 का साल ऐसा रहा जबकि सेंसेक्स लगभग फ्लैट रहा है।
ग्लोब कैपिटल मार्किट लि. के चेयरमैन अशोक अग्रवाल ने कहा कि
इस साल वैसे तो बाजार पूरे साल ऊपर-नीचे होता रहा, लेकिन सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद से यह लगातार नीचे आ रहा है।
- अग्रवाल का मानना है कि अभी कम से कम छह महीने तक सेंसेक्स में बहुत अधिक सुधार की उम्मीद नहीं दिखती।
उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार बजट में करों के मोर्चे पर कुछ राहत दे सकती है, साथ ही ब्याज दरों में भी कमी आने की संभावना है।
- इसके बाद बाजार में कुछ तेजी आएगी।
- हालांकि, इसके साथ ही वह मानते हैं कि यदि विदेशी संस्थागत निवेशक लिवाली करते हैं, तो आने वाले दिनों में बाजार की स्थिति सुधर सकती है।
आजाद फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लि. के निदेशक अमित आजाद ने कहा,
इस साल शेयर बाजार फ्लैट रहा है। सरकार द्वारा नोटबंदी के कदम के बाद से बाजार कुछ नीचे आया है, हालांकि, बाजार की बेहतरी के लिए उम्मीद है कि सरकार नीतिगत मोर्चे पर कुछ ऐसे कदम उठाएगी, जिससे अगले साल बाजार की स्थिति सुधरेगी।
- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 2016 के पहले दिन 7,963 अंक पर बंद हुआ था, जबकि अभी यह 8,000 अंक के आसपास है। इस लिहाज से निफ्टी में भी निवेशकों को काफी सीमित रिटर्न ही मिला है।
सीएनआई रिसर्च लि. के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक किशोर पी. ओस्तवाल कहते हैं कि
यदि सरकार बजट और उसके बाद बाजार की उम्मीदों के अनुरूप कदम उठाती है, जैसे कि कर कम होते हैं, ब्याज दरें नीचे आती हैं, तो जून, 2017 में निफ्टी 9,000 अंक के स्तर पर पहुंच सकता है।
- 2008 में सेंसेक्स में भी निवेशकों को 100 प्रतिशत से अधिक का नुकसान हुआ था।
- हालांकि, 2009 में कमजोर आधार प्रभाव की वजह से निवेशकों को 95 प्रतिशत का रिटर्न मिला था।
- 2010 में निवेशकों को जहां 15 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न मिला, वहीं 2011 में निवेशकों को 25 प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ा।
- 2012, 2013 और 2014 के कैलेंडर वर्ष में भी शेयरों में निवेश करने वाले निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिला।
- वर्ष 2014 में तो निवेशकों को करीब 30 प्रतिशत का रिटर्न मिला।