नई दिल्ली। HSBC और UBS समेत कई विदेशी निवेशकों ने विवादास्पद P-Note जारी करना बंद कर दिया है। इसका कारण नियामक और प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा इसके दुरूपयोग को रोकने के लिये उठाए गये कदम हैं। एक समय P-Note भारतीय बाजारों में निवेश के लिये विदेशी निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय माध्यम था लेकिन अब इसमें कमी आयी है।
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संदिग्ध मामलों की चल रही है जांच
- भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने आगे की कार्रवाई के लिये उन विदेशी फंड हाउस की सूची सौंपी है जो विदेशों से निवेश के इस साधन, ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट (ODI) भारतीय नागरिकों को जारी करते पाए गए।
- ODI को आमतौर पर पार्टिसिपेटरी नोट (P-Note) के रूप में जाना जाता है।
- वहीं एनआरआई, भारतीय मूल के लोगों तथा कई अन्य संदिग्ध मामलों में जांच जारी है।
- P-Note भारतीयों, प्रवासी भारतीयों या भारतीय मूल के लोगों को जारी करने की अनुमति नहीं है।
- इसके अलावा, एक अन्य सूची में उन निवेशकों के नाम साझा किए गए हैं जिन्होंने 10-10 करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश P-Note के माध्यम से किए।
SEBI ने तेज की जांच
- SEBI ने अवैध धन की हेराफेरी में इसके दुरूपयोग को लेकर कार्रवाई में तेजी के बीच P-Note जारी करने वाले निवेशकों के साथ इसके जरिए भारतीय बाजारों में धन लगाने वालों की जांच तेज कर दी है।
- एक समय यह उन निवेशकों में काफी लोकप्रिय था जिन्होंने सीधे भारतीय बाजार में प्रवेश नहीं करना चाहते थे और पंजीकृत FPI द्वारा उपलब्ध इस साधन के जरिए निवेश करते थे।
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- उच्चतम न्यायालय द्वारा कालेधन पर नियुक्त विशेष जांच दल (SIT) के सुझावों समेत लगातार नियमों को कड़ा किये जाने से P-Note के जरिए निवेश में काफी कमी आई है।
- दस साल पहले कुल विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में जहां P-Note की हिस्सेदारी 56 प्रतिशत थी वहीं अब यह सात प्रतिशत से कम रह गई है।