मुंबई. देश के शेयर बाजार की चाल इस सप्ताह वैश्विक संकेतों से ही तय होगी। हालांकि देश में कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर निवेशकों में चिंता बनी रहेगी। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम और डॉलर के मुकाबले देसी करेंसी रुपये की चाल पर भी बाजार की नजर टिकी रहेगी। वहीं, अमेरिकी बांड बाजार के रुखों का असर भारतीय शेयर बाजार पर बना रहेगा। कोरोना के कहर की वापसी से बने निराशा के बादल अभी छटे नहीं हैं। कोरोनावायरस संक्रमण के नये मामलों की संख्या शनिवार को पिछले साल 25 नवंबर के बाद के सबसे उंचे स्तर पर रहे, इसलिए कोरोना का साया इस सप्ताह भी शेयर बाजार पर बना रहेगा। लेकिन इसके साथ-साथ वैक्सीनेशन कार्यक्रम की प्रगति पर भी निवेशकों की निगाहें बनी हुई हैं।
जानकार बताते हैं कि घरेलू शेयर बाजार की दिशा तय करने में इस समय जो सबसे अहम कारक है वह अमेरिकी बांड बाजार है क्योंकि बांड से ज्यादा रिटर्न मिलने की उम्मीदों में विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से अपने पैसे निकालते हैं जिससे बिकवाली का दबाव बना रहता है। पिछले सप्ताह के शुरूआती सत्रों में देश के शेयर बाजार में गिरावट की यही एक बड़ी वजह थी। इसलिए इस सप्ताह भी घरेलू शेयर बाजार की चाल अमेरिकी बांड बाजार के रुखों पर निर्भर करेगी।
वहीं, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की ताकत का सूचक डॉलर इंडेक्स में बीते कुछ दिनों से मजबूती देखने को मिली है, इसलिए डॉलर इंडेक्स के रुखों पर भी बाजार की निगाहें टिकी रहेंगी। साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में तेजी या सुस्ती का भी असर घरेलू शेयर बाजार पर देखने को मिलेगा। इस सप्ताह के दौरान चीन में लोन प्राइम रेट की घोषणा मंगलवार को होगी और गुरुवार को अमेरिका में टिकाउ वस्तुओं के फरवरी महीने के ऑर्डर के आंकड़े जारी होंगे। इसके अलावा, कुछ अन्य प्रमुख आर्थिक आंकड़े जो सप्ताह के दौरान जारी होंगे उनपर भी निवेशकों की नजर होगी। जानकार बताते हैं कि इस सप्ताह मुख्य रूप से दो प्रमुख कारकों से देश के शेयर बाजार की चाल तय होगी जिनमें एक अमेरिकी बांड की यील्ड और कोरोना की कहर की वापसी शामिल है।