नई दिल्ली। खाने के तेल के दाम बढ़ने की आशंका बढ़ गई है, तेल और तिलहन पर स्टॉक लिमिट हटाने के बाद अब सरकार ने गैर पाम खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है। केंद्र सरकार ने घरेलू तिलहन उत्पादकों और तेल उत्पादकों के हितों के संरक्षण के लिए क्रूड और रिफाइंड गैर पाम खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में पांच से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि की है।
मार्च में, सरकार ने कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 44 प्रतिशत कर दिया था , जबकि रिफाइंड पाम तेल पर इसे 40 फीसदी से बढ़ाकर 54 फीसदी किया था। लेकिन साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के मांग के बावजूद गैर-पाम कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क को अपरिवर्तित रखा गया था।
अब सरकार ने एक ताजा अधिसूचना जारी कर कच्चे सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क में 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दिया जबकि रिफाइंड सोयाबीन तेल पर इसे 35 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 प्रतिशत किया है। इसी तरह क्रूड सूरजमुखी के तेल पर भी आयात शुल्क को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत और रिफाइंड पर 35 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 प्रतिशत कर दिया गया है। क्रूड मूंगफली तेल पर भी आयात शुल्क को 30 प्रतिशत से बड़ाकर 35 प्रतिशत और रिफाइंड मूंगफली तेल पर 35 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 प्रतिशत कर दिया गया है। कैनोला तेल पर आयात शुल्क 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दिया गया है।
मुंबई स्थित सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने मांग की थी कि अगर सोया , सूरजमुखी और कैनोला तेलों पर आयात शुल्क को पाम तेल के समान अनुपात में नहीं बढ़ाया गया तो सरकार के किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य पूरा नहीं होगा। उसने कहा था कि अगर इन तेलों पर शुल्कों में वृद्धि नहीं गई तो किसानों को अधिक तिलहन उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करना मुश्किल होगा। भारत अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए सालाना 1.4 करोड़ टन के लगभग वनस्पति तेलों का आयात करता है।