अधिक कीमत तथा कुछ सरकारी कदमों से सोने की घरेलू मांग 2018 में 1.40 प्रतिशत गिरकर 760.40 टन पर आ गयी। हालांकि इस दौरान सोने की वैश्विक मांग में चार प्रतिशत की तेजी आयी। विश्व स्वर्ण परिषद की वार्षिक रिपोर्ट में बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी गयी। परिषद ने कहा कि विवाह के मुहूर्त वाले दिनों की कम संख्या रहने, कीमतों में भारी उथल-पुथल होने तथा सरकार द्वारा पारदर्शिता के लिये उठाये गये विभिन्न कदमों से यह गिरावट आयी है। वर्ष 2017 में घरेलू स्वर्ण मांग 771.20 टन रही थी।
रिपोर्ट में कहा गया कि विभिन्न केंद्रीय बैंकों ने 2018 में 74 प्रतिशत अधिक सोने की खरीद की। उन्होंने 2018 में 651.50 टन सोने की खरीद की जबकि 2017 में उन्होंने 374.80 टन सोने की खरीद की थी। परिषद के प्रबंध निदेशक (भारत) सोमासुंदरम पीआर ने पीटीआई भाषा से कहा कि आगामी आम चुनाव तथा खर्च में वृद्धि को देखते हुए 2019 में सोने की घरेलू मांग 750 से 850 टन के बीच रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि आभूषणों की घरेलू मांग 2018 में एक प्रतिशत गिरकर 598 टन पर आ गयी। हालांकि मूल्य के संदर्भ में आभूषणों की मांग पांच प्रतिशत बढ़कर 16.66 लाख करोड़ रुपये पर रही। इस दौरान कुल निवेश मांग चार प्रतिशत कम होकर 162.40 टन पर आ गयी। मूल्य के संदर्भ में यह दो प्रतिशत की तेजी के साथ 45,250 करोड़ रुपये पर पहुंच गयी।
सोमासुंदरम ने कहा कि इस दौरान संगठित रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में वृद्धि होने से इसका अवैध बाजार 2017 के 115 टन से कम होकर 2018 में 90-95 टन पर आ गया। परिषद ने कहा कि 1971 में अमेरिकी डॉलर को सोने में बदलने की प्रक्रिया बंद होने के बाद सोने की वैश्विक मांग सबसे उच्च स्तर पर रही। उसने कहा कि 2018 में सोने की मांग में तेजी में चना का सबसे मुख्य योगदान रहा।