नई दिल्ली। घरेलू इक्विटी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के शेयरों का मूल्य 2020-21 में रिकॉर्ड 555 अरब अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया, और सितंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच इसमें 105 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई। बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा) सिक्योरिटीज के आंकड़ों के अनुसार इसके मुकाबले घरेलू संस्थागत निवेशकों का निवेश 203 अरब डालर था, जो एफपीआई के मुकाबले आधे से भी कम है। रिपोर्ट के मुताबिक एफपीआई ने इस साल 16 अप्रैल तक (वर्ष दर तारीख के आधार पर) शुद्ध 7. अरब डॉलर का निवेश किया है और भारत एकमात्र ऐसा बाजार है, जिसने इस साल में शुद्ध सकारात्मक प्रवाह देखा है। हालांकि, मार्च 2021 में इसमें गिरावट देखने को मिली थी।
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार 2020-21 में एफपीआई ने रिकॉर्ड 37 अरब अमरीकी डालर या 2.75 लाख करोड़ रुपये इक्विटी में निवेश किए, जो दो दशकों में सबसे अधिक है। इससे पहले वित्त वर्ष 2010, 2011 और 2013 में एफपीआई का निवेश 20 अरब डॉलर के पार पहुंचा था। निवेश में बढ़त की मुख्य वजह महामारी से अर्थव्यवस्थाओं को बाहर निकालने के लिए प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा उठाए गए कदमों से सिस्टम में बढ़ी नकदी है। लिक्विडिटी बढ़ने से भारत में निवेश भी बढ़ गया। वहीं दूसरी तरफ 2020-21 में घरेलू संस्थागत निवेशकों का निवेश निगेटिव 1.38 लाख करोड़ रुपये रहा। जिससे उनकी कुल होल्डिंग 203 अरब डॉलर रही, इसमें से एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में 38 अरब डॉलर, लार्ज कैप फंड में 24 अरब डॉलर, फ्लेक्सी कैप फंड्स में 22 अरब डॉलर और मिड कैप फंड में 16 अरब डॉलर हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2020 में एफपीआई की होल्डिंग 450 अरब डॉलर थी जो कि 2020-21 में रिकॉर्ड 555 अरब डॉलर हो गयी।
वहीं जून 2020 तिमाही में एफआईआई की इक्विटी में निवेश की कीमत 344 अरब डॉलर थी जो कुल बाजार मूल्य का 18.7 प्रतिशत थी वहीं सितंबर 2020 तक यानि 3 महीने में एफआईआई निवेश का मूल्य 31 प्रतिशत की बढ़त के साथ 429 अरब डॉलर हो गयी।