नई दिल्ली। विदेशी निवेशकों ने घरेलू पूंजी बाजार से इस महीने अब तक चार अरब डॉलर (26,700 करोड़ रुपए से अधिक) की भारी निकासी की है। इसका मुख्य कारण कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी है। इससे पहले विदेशी निवेशकों ने अप्रैल महीने में घरेलू पूंजी बाजार (इक्विटी और डेट) से 15,500 करोड़ रुपए से अधिक की निकासी की थी। यह पिछले 16 महीनों की सबसे बड़ी निकासी थी। डिपॉजिटरी के ताजा आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने 2 से 25 मई तक शेयर बाजारों से 7,819 करोड़ रुपए और डेट या बांड बाजार से 18,950 करोड़ रुपए की निकासी की है। इस तरह उन्होंने इस दौरान कुल 26,769 करोड़ रुपए निकाले हैं।
ग्रो के मुख्य परिचालन अधिकारी हर्ष जैन ने हालिया निकासी का मुख्य कारण कच्चे तेल की कीमतों में तेजी है। उन्होंने कहा कि इसका असर भारत समेत तेल आयात करने वाली सभी अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा। इससे उन देशों के चालू खाता घाटा, राजकोषीय घाटा, आयात मुद्रास्फीति आदि पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और आर्थिक वृद्धि के लिए चुनौतियां पैदा होगी।
इनके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा उत्तर कोरिया के साथ नियोजित वार्ता रद्द करने और वाहन आयात पर शुल्क लगाने की धमकी से निवेशक सतर्क रहे। उन्होंने कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के पहले से ही एफपीआई ने मुनाफावसूली शुरू कर दी थी। FPI ने इस साल अब तक शेयर बाजारों में महज 641 करोड़ रुपए लगाए हैं जबकि ऋण बाजार से करीब 30,000 करोड़ रुपए की निकासी की है।