नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने नकदी की बढ़ती उपलब्धता और उच्च जोखिम के बीच जून में अब तक भारतीय पूंजी बाजारों में शुद्ध रूप से 17,985 करोड़ रुपये का निवेश किया है। डिपॉजिटरी के ताजा आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने एक से 19 जून के बीच इक्विटी में 20,527 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया। हालांकि उन्होंने ऋणपत्रों से 2,569 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की। इस तरह अवधि के दौरान घरेलू पूंजी बाजार में उनका कुल शुद्ध निवेश 17,985 करोड़ रुपये हो गया। इससे पहले, विदेशी निवेशक लगातार तीन महीनों तक शुद्ध बिकवाल बने रहे। उन्होंने मई में 7,366 करोड़ रुपये, अप्रैल में 15,403 करोड़ रुपये और मार्च में 1.1 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड निकासी की थी।
ग्रो के सह-संस्थापक एवं मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) हर्ष जैन ने कहा, "जैसा कि दुनिया भर में अर्थव्यवस्थाएं तरलता बढ़ा रही हैं, इक्विटी जैसे उच्च जोखिम वाले निवेश के लिये उत्सुकता भी काफी बढ़ रही है। यह पैसा भारत की तरफ भी आयेगा क्योंकि भारत उभरते बाजारों में अच्छी स्थिति में है।" उन्होंने कहा कि घरेलू और व्यक्तिगत उत्पादों, तेल और गैस तथा दूरसंचार क्षेत्र शेयरों ने पिछले महीने में सबसे अधिक एफपीआई आकर्षित किया है। कोटक सिक्योरिटीज के कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं मौलिक शोध के प्रमुख रस्मिक ओझा के अनुसार, व्यावसायिक गतिविधियां धीरे-धीरे फिर से शुरू होने और बैंकिंग व वित्तीय सेवा क्षेत्र से मिल रहे कुछ सकारात्मक संकेतों के कारण बाजार की धारणा बेहतर है। उन्होंने कहा, "चूंकि वैश्विक बाजार सहायक हैं, इसलिए निफ्टी-50 दस हजार अंक के स्तर से पुन: ऊपर चला गया है। यदि अगले सप्ताह में वैश्विक बाजार तेजी से नहीं गिरते हैं, तो हम एफपीआई की ओर से कुछ सकारात्मक प्रवाह की उम्मीद कर सकते हैं।’’
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस महामारी से पहले भी गति हासिल करने के लिये संघर्ष कर रही थी। हाल ही में, फिच रेटिंग्स ने भारत के संप्रभु रेटिंग दृष्टिकोण को 'स्थिर' से 'नकारात्मक' कर दिया। एजेंसी ने देश की रेटिंग 'बीबीबी-' पर बनाये रखी। उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशकों के लिये यह अच्छा नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, भारत और चीन, अमेरिका और चीन तथा उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच भू-राजनैतिक तनाव भी उभरते हुए बाजारों के लिये प्रतिकूल हैं।