नई दिल्ली। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, टीसीएस और इंफोसिस जैसी अग्रणी कंपनियों के तिमाही परिणाम तथा वृहद आर्थिक आंकड़ों की घोषणाएं चालू सप्ताह में शेयर बाजार की दिशा निर्धारित करेंगी। ट्रेड स्मार्ट ऑनलाइन के संस्थापक निदेशक विजय सिंघानिया ने कहा कि ब्लू चिप कंपनियों के दिसंबर तिमाही के परिणाम तथा वृहद आर्थिक आंकड़ों की घोषणाएं बाजार को दिशा देंगे। कंपनियों के तिमाही नतीजों और बजट की वजह से अब हम सूचनाओं के प्रवाह के दौर में प्रवेश करने जा रहे हैं।
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विजय सिंघानिया ने कहा
अगर आने वाले समाचार सकारात्मक होते हैं तो हम शेयर बाजार में चालू तेजी का दौर देख सकते हैं। लेकिन अगर समाचार नकारात्मक होते हैं तो हम बाजार में कुछ तकनीकी सुधार का सामना कर सकते हैं।
आंकड़ों पर रहेगी निगाहें
- बाजार सूत्रों का कहना है कि निवेशकों की नजर इस सप्ताह घोषित किए जाने वाले औद्योगिक उत्पादन और मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर होगी।
- कैपिटल वाया ग्लोबल रिसर्च के संस्थापक एवं सीईओ रोहित गाडिया ने कहा कि बाजार की आगे की गति औद्योगिक उत्पादन के साथ-साथ मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर भी निर्भर करेगी जिसे गुरुवार को घोषित किया जाएगा।
पिछले हफ्ते घरेलू शेयर बाजारों में आई थी तेजी
पिछले हफ्ते बांबे स्टॉक एक्सचेंज के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स में 132.77 अंक या 0.49 प्रतिशत तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज कि निफ्टी में 58 अंक अथवा 0.70 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई।
सिंघानिया ने कहा
- शुक्रवार को बाजार बंद थे। इस कारण सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़ों की पिछले सप्ताह की घोषणा पर बाजार की प्रतिक्रिया सोमवार को सामने आएगी।
- शुक्रवार को जारी किए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश की GDP ग्रोथ रेट चालू वित्त वर्ष में घटकर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो वित्त वर्ष 2015-16 में 7.6 प्रतिशत था। इसका मुख्य कारण विनिर्माण, खनन और निर्माण क्षेत्र में गिरावट आना है।
आम्रपाली आद्या ट्रेडिंग एंड इंन्वेस्टमेंट्स के निदेशक एवं शोध प्रमुख अबिनाश कुमार सुधांशु ने कहा
आगे आने वाले दिनों में सबकी निगाह केन्द्रीय बजट पर होगी। उसका अपना महत्व है।
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बीते साल FPI ने निकाले तीन अरब डॉलर
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने वर्ष 2016 में भारतीय पूंजी बाजारों से तीन अरब डॉलर से अधिक की निकासी की है।
- इस तरह विदेशी निवेश के मामले में यह पिछले आठ साल की सबसे खराब स्थिति है।
- सबसे अधिक निकासी FPI ने बांड प्रोडक्ट्स से की। हाल के वर्षों में यह फॉरेन फंडों के लिए निवेश का सबसे आकर्षक गंतव्य होता था।
- हालांकि, शेयरों में विदेशी निवेशकों का निवेश सकारात्मक है, लेकिन यह इतना नहीं है कि इससे बांड बाजार से हुई निकासी की भरपाई हो सके।
डिपोजिटरीज के आंकड़ों के अनुसार, 2016 में FPI ने 20,566 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे, वहीं इस दौरान उन्होंने 43,646 करोड़ रुपए के बांड बेचे। इस तरह उनकी शुद्ध निकासी 23,080 करोड़ रुपए या 3.2 अरब डॉलर रही।