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विदेशी संकेतों से घरेलू बाजार में तेल- तिलहन की कीमतों में सुधार दर्ज

एक हफ्ता पहले पाम तेल 705 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध था जो अब बढ़कर 785 डॉलर प्रति टन हो गया है। इसी प्रकार चार-पांच दिन पूर्व जो सोयाबीन डीगम 840 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध था जो अब बढ़कर 902 डॉलर प्रति टन हो गया है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : October 10, 2020 19:49 IST
खाद्य तेलों की कीमत...
Photo:GOOGLE

खाद्य तेलों की कीमत में सुधार

नई दिल्ली। विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच स्थानीय तेल तिलहन बाजार में शनिवार को लगभग सभी तेल तिलहन कीमतों में सुधार आया जबकि त्यौहारी मांग और स्टॉक कम होने से सरसों के भाव पूर्ववत बने रहे। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में सोयाबीन दाना सहित इसके सभी तेल कीमतों में सुधार का रुख रहा जबकि मलेशिया में भारी बरसात के कारण फसल का उत्पादन प्रभावित होने से पाम तेल कीमतों में भी सुधार देखने को मिला। विश्व में सोयाबीन बीज और तेल का स्टॉक कम हुआ है और साथ ही सूरजमुखी फसल भी इस साल कम है। सूत्रों ने कहा कि एक हफ्ता पहले पाम तेल 705 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध था जो अब बढ़कर 785 डॉलर प्रति टन हो गया है। इसी प्रकार चार-पांच दिन पूर्व जो सोयाबीन डीगम 840 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध था जो अब बढ़कर 902 डॉलर प्रति टन हो गया है। 

तेलों के कम स्टॉक होने और विदेशों में तेजी का असर स्थानीय कारोबार पर दिखाई दिया और विभिन्न खाद्यतेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। जानकारों ने कहा कि नाफेड ने शनिवार को सरसों का कुछ स्टॉक 5,101 रुपये क्विन्टल के भाव पर बाजार में छोड़ा है और बाकी बिकवाली के लिए लगाई गई कम बोली को निरस्त कर दिया है। सीमित स्टॉक के बीच त्यौहारी मांग होने से सरसों तेल तिलहन कीमतें पूर्ववत बनी रहीं। सूत्रों ने कहा कि सरकार को रुके हुए बाजार में सरसों बेचने से परहेज करना चाहिये और उपयुक्त समय पर सीमित मात्रा में बिकवाली करनी चाहिये क्योंकि त्यौहारी मांग धीरे धीरे बढ़ेगी और तेल मिलों एवं व्यापारियों के पास सरसों का स्टॉक नहीं है। इसके अलावा सरसों की आगामी फसल आने में लगभग पांच महीने की देर है। सर्दियों में हरी सब्जियों के आने के बाद सरसों तेल की मांग बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचा है जिससे उत्पादन घटने की संभावना है। गुजरात और महाराष्ट्र में मूंगफली और सूरजमुखी एमएसपी से नीचे बिक रहे हैं जिसे रोकने के उपाय करने होंगे। गुजरात सहित कुछ अन्य मूंगफली उत्पादक राज्यों में राज्य सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंगफली खरीद के आश्वासन से मूंगफली तेल तिलहन कीमतों में पर्याप्त सुधार दर्ज हुआ। 

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