नई दिल्ली। आज होने वाली तेल उत्पादक देशों की बैठक से पहले कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त देखने को मिली है। सऊदी अरब और OPEC के कई देश तेल उत्पादन और घटाने के पक्ष में हैं। उत्पादन में कटौती की संभावनाओं को देखते हुए कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त देखने को मिली है। वहीं उत्पादित कच्चे तेल के भंडार में इस हफ्ते आई कमी से भी कीमतों को सहारा मिला है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 1.3 फीसदी घटकर 52 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई है। वहीं WTI क्रूड की कीमत 1.2 फीसदी बढ़कर 47 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गईं। बीते हफ्ते अमेरिकी क्रूड स्टॉक में अनुमान से काफी कम बढ़त देखने को मिली है। हालांकि दूसरी तरफ कच्चे तेल का निर्यात दिसंबर के बाद पहली बार 40 लाख बैरल प्रति दिन के पार पहुंच गया। बाजार के जानकार मान रहे हैं कि कोरोना वायरस के असर की वजह से कच्चे तेल की मांग में असर देखने को मिला है, जिससे कीमतें नीचे आ गई हैं, जिसकी वजह से ओपेक में शामिल सदस्य देशों का एक बड़ा हिस्सा कच्चे तेल के उत्पादन में और कटौती की मांग कर रहा है।
कटौती पर आज ओपेक देशों की बैठक के बाद शुक्रवार को ओपेक प्लस देशों की बैठक होनी है जिसमें दुनिया के अन्य हिस्सों को बड़े तेल उत्पादक देश शामिल हैं। सऊदी अरब सहित कई अन्य देश रूस को अतिरिक्त तेल कटौती के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि रूस मौजूदा कटौती को ही अगली तिमाही तक बढ़ाने की पक्ष में है। सऊदी अरब चाहता है कि 21 लाख बैरल प्रतिदिन की मौजूदा कटौती को न केवल 2020 के अंत तक जारी रखा जाए, साथ ही दूसरी तिमाही में 10 से 15 लाख बैरल प्रतिदिन की अतिरिक्त कटौती की जाए। जानकार मान रहे हैं कि अगर रूस सऊदी अरब की सलाह नहीं मानता तो कीमतों पर नियंत्रण करना संभव नहीं होगा। हालांकि कटौती पर समझौता होने पर कच्चे तेल की कीमतों में आगे बढ़त देखने को मिल सकती है।