नई दिल्ली। अरंडी यानी कैस्टर सीड की बुवाई की रफ्तार चालू सीजन में सुस्त पड़ जाने से कीमतों में जोरदार तेजी आई है। पिछले साल के मुकाबले बुवाई का रकबा 55 फीसदी से ज्यादा घटने के कारण बीते कारोबारी सप्ताह के आखिरी सत्र में शुक्रवार को कैस्टर सीड के वायदे में तकरीबन तीन फीसदी का उछाल आया। कैस्टर सीड के दाम में आई हालिया तेजी को स्टॉक की कमी का भी सहारा मिला है।
कारोबारियों के अनुसार, खपत के मुकाबले आपूर्ति कम होने की वजह से कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है और यह तेजी आगे और बढ़ सकती है क्योंकि कैस्टर सीड में इस साल किसानों का रुझान कम दिख रहा है।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरीवेटिव्स एक्सचेंज यानी NCDEX पर अगस्त डिलीवरी कैस्टर सीड अनुबंध शुक्रवार को 129 रुपए यानी 2.86 फीसदी की बढ़त के साथ 4,645 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सिंतबर डिलीवरी सौदा 132 रुपए यानी 2.9 फीसदी की तेजी के साथ 4,680 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। एनसीडीईएक्स पर कैस्टर सीड वायदे में पिछले करीब डेढ़ महीने में 500 रुपये से ज्यादा का उछाल आया है।
तिलहन बाजार के जानकार मुंबई के सलील जैन ने कहा कि आगे पेंट विनिमार्ताओं की मांग बढ़ने से कैस्टर सीड में इस साल तेजी रहने की पूरी संभावना है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक तेल कैस्टर ऑयल की बाजार में जबरदस्त मांग है और इसके कच्चे माल का सबसे बड़ा उत्पादक भारत है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, देश में अब तक महज 1.07 लाख हेक्टेयर में कैस्टर की बुवाई हुई जबकि पिछले साल की समान अवधि में कैस्टर सीड का रकबा 2.41 लाख हेक्टेयर था। इस प्रकार पिछले साल के मुकाबले कैस्टर सीड का रकबा 55.38 फीसदी पिछड़ा हुआ है।
देश में सबसे ज्यादा कैस्टर सीड की खेती गुजरात में होती है जहां मानसून देर से आने के कारण ज्यादातर फसलों की बुआई की रफ्तार सुस्त पड़ गई है। इसके अलावा राजस्थान, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में भी कैस्टर सीड की पैदावार होती है।
अहमदाबाद के कारोबारी अमित भाई पटेल ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि कैस्टर सीड के बदले अन्य फसलों में किसानों का रुझान बढ़ने से इसके उत्पादन में कमी आई है जिससे इस साल स्टॉक बहुत कम है। लिहाजा, आगे भी तेजी बनी रहेगी।
उन्होंने कहा कि हालांकि बुआई का अंतिम आंकड़ा सितंबर तक आएगा क्योंकि मानसून अगर कमजोर रहा और अन्य फसलों की बुआई नहीं हो पाने से खेत खाली रह गया तो किसान उसमें कैस्टर सीड की बुवाई कर सकते हैं।उन्होंने बताया कि इस समय कैस्टर सीड का स्टॉक एनसीडीईएक्स गोदाम समेत किसानों और व्यापारियों के पास करीब 75-85 लाख बोरी होगी। एक बोरी का वजन 75 किलो होता है।
अमित ने कहा कि कैस्टर की पेराई के लिए मिलों की खपत प्रति माह 15 लाख बोरी है और पेराई मांग अगले छह महीने में 90 लाख बोरी की होगी, क्योंकि अगली फसल फरवरी से पहले नहीं आएगी। इस प्रकार कैरी फारवर्ड स्टॉक रहने की संभावना बिल्कुल नजर नहीं आती है।
भारत दुनिया में कैस्टर सीड का सबसे बड़ा उत्पादक है। कैस्टर सीड के अन्य प्रमुख उत्पादक देशों में चीन, ब्राजील और थाईलैंड शामिल हैं। इसके अलावा, अमेरिका और यूरोपीय देशों में भी कैस्टर सीड उत्पादन होता है मगर इसकी सबसे ज्यादा खपत चीन में होती है।
कृषि मंत्रालय द्वारा 2017-18 में फसलों के उत्पादन के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार भारत में 14.90 लाख टन कैस्टर सीड का उत्पादन हुआ था। भारत अपने कुल उत्पादन का 70 फीसदी कैस्टर सीड का निर्यात करता है, जबकि 30 फीसदी घरेलू खपत है।