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रोजगार को लेकर बुरी खबर! संयुक्त राष्ट्र ने कहा- वैश्विक महामारी ने अप्रत्याशित संकट पैदा कर दिया है

एजेंसी ने कहा कि विश्वभर में महामारी की लहर बार-बार आने से कामकाजी समय का नुकसान बढ़ा है। 2021 की पहली तिमाही में 4.4 प्रतिशत कामकाजी समय का नुकसान हुआ, यानी 14 करोड़ पूर्णकालिक श्रमिक एक साल तक काम कर सकते थे।

Written by: Bhasha
Updated on: June 03, 2021 10:33 IST
bad news on employment front UN says Covid created create unexpected crisis रोजगार को लेकर बुरी खबर!- India TV Paisa
Photo:PTI (FILE)

रोजगार को लेकर बुरी खबर! संयुक्त राष्ट्र ने कहा-  वैश्विक महामारी ने अप्रत्याशित संकट पैदा कर दिया है

संयुक्त राष्ट्र. अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (ILO) ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा कि Covid-19 वैश्विक महामारी ने वैश्विक श्रम बाजार के लिए अप्रत्याशित संकट पैदा कर दिया है, जिससे रोजगार बाजार वर्षों तक प्रभावित होगा। संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी आईएलओ ने कहा, "सभी देशों में रोजगार और राष्ट्रीय आय में कमी आई है, जिसके कारण मौजूदा असमानताएं और श्रमिकों एवं उद्यमों को दीर्घकालीन रूप से प्रभावित करने वाले खतरे बढ़े हैं।"

164 पृष्ठीय 'विश्व रोजगार और सामाजिक परिदृश्य : रुझान 2021' रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संकट ने अनौपचारिक क्षेत्र के दो अरब कर्मियों समेत सभी कर्मियों को प्रभावित किया है और इसके कारण महिलाएं एवं युवा सबसे अधिक प्रभावित हुए है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में कुल कामकाजी समय के 8.8 प्रतिशत हिस्से का नुकसान हुआ है, यानि 25.5 करोड़ पूर्णकालिक श्रमिक एक साल तक काम कर सकते थे।

रिपोर्ट में कहा कि इसके विपरीत यदि वैश्विक महामारी नहीं होती, तो विश्व में 2020 में करीब तीन करोड़ नई नौकरियां पैदा हुई होती। एजेंसी ने कहा कि विश्वभर में महामारी की लहर बार-बार आने से कामकाजी समय का नुकसान बढ़ा है। 2021 की पहली तिमाही में 4.4 प्रतिशत कामकाजी समय का नुकसान हुआ, यानी 14 करोड़ पूर्णकालिक श्रमिक एक साल तक काम कर सकते थे। इसके अलावा 2021 की दूसरी तिमाही में 4.4 प्रतिशत कामजाजी समय का नुकसान हुआ, यानी 12 करोड़ 70 लाख पूर्णकालिक श्रमिक एक साल तक काम कर सकते थे।

एजेंसी ने कहा कि संकट अभी समाप्त नहीं हुआ है। उसने कहा कि इस साल पहले छह महीनों में लैटिन अमेरिका और कैरेबियन, यूरोप और मध्य एशिया सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि टीकाकरण और बड़े स्तर पर वित्तीय खर्च के कारण 2021 के अंतिम छह महीनों में असामान आर्थिक सुधार होने की संभावना है। उसने इस साल 10 करोड़ और 2022 में आठ करोड़ नौकरियां पैदा होने की संभावना जताई है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "और बुरी बात यह होगी, कि नई नौकरियों की उत्पादकता कम और गुणवत्ता खराब रहेगी।"

एजेंसी ने अनुमान जताया कि रोजगार में वृद्धि महामारी के कारण हुई भरपाई को कम से कम 2023 तक पूरा नहीं कर पाएगी। उसने कहा कि कई सूक्ष्म एवं लघु उद्योग पहले ही "दिवालिया हो चुके हैं या उनका भविष्य बहुत अनिश्चित है"। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 की दूसरी तिमाही में विश्वभर में 45 देशों के 4,520 कारोबारों के सर्वेक्षण में पाया गया है कि 80 प्रतिशत सूक्ष्म उद्योग और 70 प्रतिशत लघु कंपनियां वित्तीय मुश्किलों से जूझ रही हैं।

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