अब आपका सवाल होगा कि ब्लूबगिंग का इस्तेमाल हैकर्स किस तरह करते हैं ? मान लीजिए आप किसी सार्वजनिक स्थान पर मौजूद हैं और आपका ब्लूटूथ ऑन है। अब हैकर्स अपने डिवाइस से आस पास ब्लूटूथ डिवाइस को खोजेंगे और 10 मीटर के भीतर मौजूद किसी भी ब्लूटूथ डिवाइस, मोबाइल फोन या लैपटॉप से पेअर करने की रिक्वेस्ट भेजेंगे। और यदि आपने जाने अनजाने पैरिंग की परमिशन दे दी, तो बस हैकर्स का काम हो गया। पैरिंग होने के चंद मिनटों में ही हैकेर आपके डिवाइस की सारी इनफार्मेशन का एक्सेस हासिल कर लेगा।
कहां से आया ये ब्लूबगिंग
ब्लूबगिंग शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले 2004 में जर्मनी में हुआ था। जर्मनी के एक शोधकर्ता मार्टिन हर्फ़र्ट ने इस शब्द का ईजाद तब किया जब उन्होंने पाया कि एक हैकर ने ब्लूटूथ की मदद से एक लैपटॉप को हैक कर लिया था। ब्लूबगिंग के इस्तेमाल से, हैकर्स आपके फोन कॉल भी सुन सकते हैं, याने की अगर आप अपने फोन पर किसी भी तरह की निजी या बहुत ही संगीन बात कर रहे हैं, जैसे कि बैंक से अपने कार्ड डिटेल्स शेयर करना या किसी तरह का OTP तो ये सारी बातें हैकर्स भी सुन लेंगे और आपको पता भी नहीं चलेगा की आपकी सारी इनफार्मेशन लीक कैसे और कब हो गई। इसलिए सावधानी बरतना बहुत ही जरूरी हो जाता है।
कैसे बचे ब्लूबगिंग हैकिंग से ?
सबसे पहले तो आप यदि किसी पब्लिक प्लेस पर जा रहे हैं, जैसे की पार्क, सिनेमा घर, शादी इत्यादि तो सुनिश्चित कर लें कि आपका डिवाइस का ब्लूटूथ ऑफ है। या फिर अगर आप हमेशा ब्लूटूथ इयरफोन का इस्तेमाल करते हैं, जिस सूरत में आपके मोबाइल फोन का ब्लूटूथ ऑन ही रहता था तो ऐसी सूरत में आप ब्लूटूथ की सेटिंग्स में जाकर नॉट discoverables को सेलेक्ट कर लें ताकि आपके फोन का ब्लूटूथ ऑन या है नहीं ये किसी तीसरे को पता ही न चले। तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण, बिना किसी को जाने किसी भी अनजान डिवाइस से आई हुई ब्लूटूथ पैरिंग की रिक्वेस्ट को अनजाने में भी कभी भी एक्सेप्ट न करें।