Highlights
- ऐसी खरीदते वक्त लोगों का पहला सवाल बिजली की खपत जानने के लिए होता है
- इन्वर्टर को आप अपने पावरबैकअप वाले इन्वर्टर मानने की गलती न करें
- कंप्रेसर में पावर की सप्लाई में बदलाव कर कूलिंग या हीटिंग को कंट्रोल करने की सुविधा देता है
इस साल मार्च के महीने में ही प्रचंड गर्मी का दौर शुरू हो गया है। पंखे गर्म हवा फेंक रहे हैं और कूलर की आवाज आपकी नींद हराम करने लगी है। ऐसे में आप हो सकता है इस बार नया ऐसी खरीदने या फिर अपने पुराने ऐसी को अपग्रेड करने की सोच रहे होंगे। आज ऐसी के बाजार में नई तकनीक का बोलबाला है। कंपनियां भी नए फीचर्स में उलझा कर आपको उनके प्रोडक्ट की ओर आकर्षित भी कर रही होंगी।
ऐसी का हमेशा से ही बिजली से 36 का आंकड़ा रहा है। ऐसे में ऐसी खरीदते वक्त लोगों का पहला सवाल बिजली की खपत जानने के लिए होता है। इसी मांग को पूरा करते हुए ऐसी कंपनियों ने बीते कुछ साल में Inverter AC का प्रचार तेज कर दिया है। अब आपके मन में सवाल उठता ही होगा कि इन्वर्टर ऐसी Non Inverter AC से कितना अलग होता है। आपकी इसी मुश्किल को हल करते हुए इंडिया टीवी की टीम आपको इन्वर्टर या नॉन इन्वर्टर ऐसी के बीच का अंतर समझाने जा रही है।
क्या होती है इन्वर्टर टेक्नोलॉजी
सबसे पहली बात यह कि इस इन्वर्टर को आप अपने पावरबैकअप वाले इन्वर्टर मानने की गलती न करें। एसी में इन्वर्टर टेक्नोलॉजी इलेक्ट्रिक वोल्टेज, करंट और फ्रीक्वेंसी को कंट्रोल करने वाला छोटा सा कंट्रोलर होता है। यह इन्वर्टर एसी को कंप्रेसर में पावर की सप्लाई में बदलाव कर कूलिंग या हीटिंग को कंट्रोल करने की सुविधा देता है।
यह नॉन-इन्वर्टर एसी से कितना अलग है
सामान्य या नॉन-इन्वर्टर एसी में सिर्फ तापमान को एडजेस्ट करने के लिए कंप्रेसर को ऑन या ऑफ करने का ऑप्शन होता है। वे साफतौर पर तय कूलिंग पावर के साथ आते हैं। यह कमरे के आसपास के टेंपरेचर के आधार पर एसी कंप्रेसर को ऑन या ऑफ कर सकता है। दोनों में अंतर की बात की जाए तो कूलिंग और हीटिंग को मैनेज करने के लिए एसी के कंप्रेसर को ऑपरेट करते हैं और हैंडल करते हैं। इन्वर्टर एसी के पास अपनी ऑपरेटिंग कैपेसिटी में बदलाव करने का ऑप्शन होता है, जबकि गैर-इन्वर्टर एसी सिर्फ एक तय कैपेसिटी पर ही काम कर सकते हैं।
इस तरह होती है बिजली की बचत
इन्वर्टर एसी आमतौर पर नॉन-इन्वर्टर एसी से महंगे होते हैं। हालांकि, लंबे समय में उनकी ऑपरेटिंग कॉस्ट कम है, क्योंकि वे जरूरत के हिसाब से हाई और लो दोनों कैपेसिटी पर काम कर सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार 1.5-टन का इन्वर्टर AC 0.3-टन और 1.5-टन के बीच काम कर सकता है, जबकि नॉन-इन्वर्टर AC हमेशा 1.5-टन पर काम करेगा। ऐसे में तापमान के अनुसार एडजस्ट होने में बिजली की काफी बचत होती है। नॉन-इन्वर्टर एसी में कंप्रेसर को फिर से ऑन करने में बिजली काफी खर्च होती है।
ड्यूरेबल होते हैं इन्वर्टर ऐसी
ऑपरेटिंग विधि के चलते, इन्वर्टर एसी में कंप्रेसर अधिक टिकाऊ होते हैं और नॉन-इन्वर्टर एसी के मुकाबले में लंबे समय तक चलते हैं। एक अन्य फायदा यह है कि इन्वर्टर एसी में नॉन-इन्वर्टर एसी के मुकाबले कम आवाज होती है। हाईटेक इन्वर्टर एसी में एक ऑप्शन के तौर पर स्लीप मोड या क्वाइट मोड भी होता है।